साजिशों पर सच्चाई भारी: तराई पश्चिमी डिविजन के अफसरों ने पेश की ईमानदारी की मिसाल
बन्नाखेड़ा (29 मई 2025) : तराई पश्चिमी वन प्रभाग को लेकर पिछले कुछ समय से तरह-तरह की अफवाहें और साजिशें फैलाने की कोशिशें की जा रही हैं। कभी किसी घटना को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है तो कभी सवालों की बौछार शुरू कर दी जाती है। लेकिन हर बार जब सच्चाई सामने आती है, तो अफवाहों की हवा निकल जाती है।
ऐसा ही एक मामला गुरुवार सुबह सामने आया, जब बन्नाखेड़ा रेंज की बैलपौखड़ा बीट के प्लॉट संख्या 13A में एक वयस्क नर बाघ का शव कच्चे जलस्रोत में पाया गया। नियमित गश्त के दौरान शव मिलने की सूचना के बाद अफवाहों का बाजार गर्म होने लगा। लेकिन वन विभाग ने बेहद पारदर्शिता और तत्परता के साथ इस घटना की जांच कराई और उसी दिन दोपहर को पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की गई।
प्रेस नोट में विभाग ने स्पष्ट किया है कि—
बाघ के शरीर पर चोट के निशान मिले हैं, लेकिन सभी अंग सुरक्षित हैं। जिससे यह माना जा रहा है कि मौत क्षेत्रीय संघर्ष के कारण हुई। घटनास्थल से किसी शिकारी गतिविधि या बाहरी हस्तक्षेप के प्रमाण नहीं मिले हैं।
पोस्टमार्टम की कार्रवाई डॉ. हिमांशु पांगती और डॉ. राहुल सती की देखरेख में की गई। इस दौरान DFO श्री प्रकाश चंद्र आर्य, संबंधित SDO, रेंज अधिकारी, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक के प्रतिनिधि श्री ए.जी. अंसारी और द कॉर्बेट फाउंडेशन के प्रतिनिधि श्री इदरीस हुसैन भी उपस्थित रहे।
इस घटना को लेकर जिस तरह विभाग ने समय रहते पारदर्शिता के साथ जांच कराकर प्रेस नोट जारी किया, वह साजिशकर्ताओं को करारा जवाब देने जैसा है। जो लोग वन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करते हैं, उन्हें यह उदाहरण यह दिखाता है कि तराई पश्चिमी डिविजन में जिम्मेदार अधिकारी ईमानदारी और तत्परता से अपना कर्तव्य निभा रहे हैं।