“जब जंगल से अंधेरा निकलकर गांवों तक पहुंचने लगे, तो खतरे की घंटी बजना लाज़मी है।

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“जब जंगल से अंधेरा निकलकर गांवों तक पहुंचने लगे, तो खतरे की घंटी बजना लाज़मी है।”

सलीम अहमद साहिल

नैनीताल के भीमताल और नौकुचियाताल जैसे इलाकों में ठंड के मौसम में बाघ और गुलदार का आतंक बढ़ रहा है। सर्दियों के आते ही ये जंगली जानवर इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ने लगते हैं, जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं में इजाफा होता है। बीते वर्षों के अनुभवों को देखते हुए जिलाधिकारी वंदना सिंह ने इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। संघर्ष प्रभावित इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने सोलर लाइट लगाने की पहल की है।

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जिलाधिकारी ने उरेडा विभाग को निर्देश दिए हैं कि भीमताल और नौकुचियाताल के उन संवेदनशील इलाकों का विस्तृत सर्वे किया जाए, जहां जानवरों से हमले की घटनाएं अधिक होती हैं। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में सोलर लाइट लगाने की प्राथमिकता तय की जाए, ताकि रात के अंधेरे में इन खतरों को रोका जा सके। डीएम का मानना है कि अंधेरे में जानवरों का खतरा बढ़ जाता है और रोशनी इन घटनाओं पर अंकुश लगा सकती है।

 

बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि स्थानीय लोगों का सहयोग लेकर उन क्षेत्रों की पहचान की जाए, जहां वन्यजीवों का खतरा सबसे अधिक है। यह पहल केवल इंसानों की सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास में हस्तक्षेप को भी कम करने का प्रयास है। रानीबाग घाट, जो रात के समय अत्यधिक अंधेरे में डूबा रहता है और लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है, डीएम ने इसे प्राथमिकता के आधार पर सोलर लाइट से रोशन करने के निर्देश दिए हैं।

 

परियोजना प्रबंधक उरेडा एसआर गौतम ने बैठक में बताया कि सोलर लाइट की सीमित उपलब्धता के बावजूद संवेदनशील स्थानों पर इसे जल्द से जल्द लगाने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। डीएम ने नगर पालिका भीमताल को भी निर्देश दिए हैं कि पालिका परिसीमन के दूरस्थ इलाकों का चिन्हांकन कर सोलर लाइट लगाने की योजना पर काम करें।

 

जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि सर्दियों में वन्यजीव हमलों की घटनाएं बढ़ जाती हैं, इसलिए जागरूकता अभियान चलाना भी बेहद जरूरी है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर ऐसी योजनाएं तैयार की जाएं, जो इंसानों और वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को रोकने में मदद करें।

 

इस पहल से न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष के खतरे को कम करने की उम्मीद है, बल्कि यह इलाके के लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ाएगी। जिलाधिकारी वंदना सिंह की इस योजना ने जंगल के किनारे रहने वाले लोगों के बीच उम्मीद की एक नई किरण जलाई है।

 

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