बरसात के कहर में जब क्षेत्र पंचायत सदस्य जनता के बीच से हुए लापता, तब क्षेत्र पंचायत सदस्य बसंती आर्य बनी ग्रामीणों के लिए उम्मीद की किरण
सलीम अहमद साहिल
रामनगर के मालधन चौड़ क्षेत्र में हालिया भारी बारिश ने ग्रामीणों की कमर तोड़ दी। एक ओर जहाँ जनप्रतिनिधि ग्रामीणों का हाल-चाल तक लेने नहीं आये तो वहीं दूसरी ओर क्षेत्र पंचायत की नवनिर्वाचित सदस्य बसंती आर्य अपने कर्तव्यों के प्रति न केवल जागरूकता दिखाई , बल्कि सुबह 5 बजे से शाम 6 बजे तक लगातार मैदान में डटी रहीं।
गांव के कई घरों और दुकानों में जलभराव से जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बच्चों के सोने तक की जगह नहीं बची थी, घरेलू सामान पानी में डूबकर खराब हो चुका था और हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल था। जनता को उम्मीद थी कि उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि इस आपदा में साथ देंगे, लेकिन दुर्भाग्यवश अधिकांश क्षेत्र पंचायत सदस्य जनता के बीच से नदारद रहे।
बसंती आर्य बनीं ग्रामीणों के संकट की साथी
बसंती आर्य ने बिना किसी देरी के तत्काल प्रभाव से राहत कार्य शुरू कराए। जलभराव वाले इलाकों में मोटर से पानी निकलवाया गया, पटवारी को मौके पर बुलाकर उच्च अधिकारियों को स्थिति की रिपोर्ट भेजी गई। इसके बाद पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता और जूनियर इंजीनियर को बुलाया गया। जेसीबी मंगाकर नाली की सफाई करवाई गई और तब तक कार्य चलता रहा जब तक हर प्रभावित घर से पानी पूरी तरह निकाल नहीं लिया गया।
सवालों के घेरे में मालधनचौड़ क्षेत्र के बाकी प्रतिनिधि
जहाँ एक ओर बसंती आर्य ने मानवता और जनसेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया, वहीं बाकी क्षेत्र पंचायत सदस्यों की चुप्पी और अनुपस्थिति ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है—क्या जनप्रतिनिधि सिर्फ जीतने तक ही जिम्मेदार होते हैं?
ग्रामीणों ने ली राहत की साँस
शाम 6 बजे जब आख़िरी घर से पानी बाहर निकाला गया, तब जाकर ग्रामीणों ने चैन की साँस ली। बसंती आर्य का यह प्रयास न केवल उन्हें क्षेत्र की जनता के बीच एक सच्ची जनसेविका के रूप में स्थापित करता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि नेतृत्व का मतलब केवल कुर्सी नहीं, बल्कि ज़मीन पर उतरकर लोगों के दुःख सूख में साथ खड़े रहना होता है।
इस राहत अभियान में बसंती आर्य के साथ महेन्द्र आर्य, ग्रामप्रधान पति गोविंद प्रसाद, मनमोहन उर्फ दीपू, गुरदीप उर्फ दीपू, हिम्मत राम, चरणजीत, राजेन्द्र कुमार सहित कई स्थानीय लोग मौजूद रहे।