रुद्रपुर आरटीओ कार्यालय में दलालों का बोलबाला, लगे गंभीर आरोप
अज़हर मलिक
ऊधमसिंह नगर जिले के किच्छा क्षेत्र के एक व्यवसायी ने दलाल पर एआरटीओ के साथ मिलीभगत कर ट्रक के पंजीकरण के नाम पर रुपये वसूलने का आरोप लगाया है। उसने चार ट्रक बरेली की एक कंपनी से खरीदे, जिसका पंजीकरण रुद्रपुर एआरटीओ में कराना था।
घई ओवरसीज एवं घई मूव के मालिक सतविंदर घई ने बताया कि उसने बरेली सारनाथ आटोजोन से जून में चार ट्रक खरीदे। पंजीकरण के लिए जब एआरटीओ रुद्रपुर से फोन पर जानकारी ली तो दलाल के साथ आने पर जल्द काम होना बताया गया। टेंपरेरी नंबर लेकर पंजीकरण के लिए रुद्रपुर एआरटीओ कार्यालय पहुंचा। दलाल से मिला तो दो लाख रुपये की डिमांड की। जिसके बाद दलाल के खाते में दो लाख रुपये भेज दिए। दलाल जब एआरटीओ प्रशासन के पास दस्तावेज लेकर पहुंचा तो उन्होंने फार्म 21 ए को अमान्य घोषित कर पंजीकरण प्रासेसिंग दस्तावेज की अनउपलब्धता की बात कहकर बंद करने के लिए कहा। जिसके बाद सतविंदर ने सारनाथ आटोजोन के सेल्स हेड से दस्तावेज पूरे न होने की बात कहकर वाहन वापस करने के लिए कहा तो वह खुद दूसरे दिन रुद्रपुर एआरटीओ रुद्रपुर गए। यहां पर दस्तावेज के आधार पर एआरटीओ प्रशासन पूजा नयाल से वार्ता कर कहा कि पूरे भारत में कहीं भी इन दस्तावेजों से पंजीकरण में कोई समस्या नहीं आती है, फिर यहां कैसे मना किया जा रहा है। इस पर बताया कि लोकल उत्तराखंड के बाडी मेकर का बिल चाहिए। तमाम बातें होने के बाद जब वह लौट आए।
तब कुछ दिनों बाद दलाल हेम सिंह उर्फ हेमू का फोन आता है। 60 हजार रुपये देने पर अपूर्ण कागजात को पूरा कराके काम होने का हवाला दिया। 60 हजार हजार रुपये रिश्वत के रूप में दलाल के खाते में भेजे गए। तीन ट्रकों के दस्तावेज देने के बाद एक ट्रक के कागजात रोक कर और रुपये मांगने लगा।
आरोप है कि पंजीकरण के लिए जब कर्मचारियों से बात की तो उन्होंने दलाल के साथ आने पर काम जल्दी होना बताया। उसने कहा कि सीएम पोर्टल, डीएम, एसएसपी से शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं की गई। इसके बावजूद कार्रवाई कराकर ही दम लेगा।
इस पर बात बिगड़ गई और पीड़ित ने सीएम पोर्टल, डीएम, एसएसपी से कार्रवाई के लिए शिकायत की,मगर दो माह बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि एआरटीओ दफ्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है, जब उनके साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता के साथ कैसा व्यवहार किया जाता होगा।गरीब लोग कैसे दलालों के माध्यम से मजबूरन पैसा देते होंगे।
एआरटीओ प्रशासन, रुद्रपुर पूजा नयाल ने आरोपों पर कहा कि ट्रक पंजीकरण के लिए दो जगह के दस्तावेजों की जरूरत होती है। एक इंजन और दूसरा बॉडी मेकर की। इन्होंने गाड़ी बरेली से ली थी और बॉडी इंदौर में बनवाया था। इसलिए दस्तावेज अमान्य थे। जबकि लगाए गए अन्य आरोप निराधार हैं। इस प्रकार का कोई मामला नहीं था। घई ओवरसीज के सतविंदर घई का कहना है कि दस्तावेज अपूर्ण थे, तो 60 हजार रुपये देने पर काम कैसे हो गया। दलालों को यहां पर बढ़ावा दिया गया है। जब व्यावसायियों के साथ ऐसा हो रहा है तो आम जनता का क्या होगा। डीएम, एसएसपी व सीएम पोर्टल पर शिकायत की गई है। दो माह से अधिक हो गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।