BRP और CRP टीचर्स अब भी स्कूलों से नदारद, दो महीने बाद भी नहीं लौटी पढ़ाई की पटरी
काशीपुर से एक गंभीर शिक्षा व्यवस्था से जुड़ी खबर सामने आ रही है, जहां BRP (ब्लॉक रिसोर्स पर्सन) और CRP (क्लस्टर रिसोर्स पर्सन) के रूप में नियुक्त शिक्षक अब भी अपने मूल विद्यालय में शिक्षण कार्य से दूरी बनाए हुए हैं। जबकि दो महीने पहले ही सीईओ कुंवर सिंह रावत ने इस बाबत स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए थे कि इन शिक्षकों को न केवल अपने बीआरपी-सीआरपी दायित्वों का निर्वहन करना है, बल्कि अपने मूल स्कूल में भी पठन-पाठन की जिम्मेदारी निभानी है।
लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि कई विकासखंडों में आज भी ये शिक्षक केवल बीआरपी और सीआरपी का काम कर रहे हैं, जिससे मूल स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई पर सीधा असर पड़ रहा है। पठन-पाठन की व्यवस्था बाधित हो रही है और स्कूलों में शिक्षकों की कमी का सीधा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है।
मई 2025 में शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया था कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2022 के तहत BRC/CRC का पुनर्गठन हो चुका है और अब संकुल संसाधन केंद्र न्याय पंचायत स्तर पर स्थापित किए जाएंगे। 19 जुलाई 2022 को इस कार्य के लिए कार्य योजना भी स्वीकृत कर दी गई थी, जिसमें यह बताया गया कि बीआरपी और सीआरपी का कार्य कोई पूर्णकालिक जिम्मेदारी नहीं होगी। इनका मुख्य दायित्व तो शिक्षण ही रहेगा।
CEO के निर्देश थे कि यदि किसी भी स्तर पर सिर्फ BRP/CRP का कार्य ही लिया जा रहा हो, तो उसे तुरंत बंद किया जाए और संबंधित शिक्षक को उसके मूल विद्यालय में ही भेजा जाए। फिर भी, अब दो महीने बीत जाने के बाद भी अधिकांश शिक्षकों की स्कूल वापसी नहीं हो पाई है।
सूत्रों की मानें तो इस व्यवस्था को लागू करवाने के लिए एक निजी कंपनी को भी अनुबंध पर लिया गया है। माना जा रहा है कि पंचायत चुनावों की आचार संहिता समाप्त होने के बाद नए BRP और CRP की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो सकती है। लेकिन तब तक बच्चों की पढ़ाई को जो नुकसान हो रहा है, उसका हिसाब कौन देगा?
शिक्षा के अधिकार की बात करने वाली नीतियां जब धरातल पर दम तोड़ने लगें, तो सवाल उठना लाजमी है – आखिर कब सुधरेगा सिस्टम?