खाद्य सुरक्षा विभाग की बड़ी कार्यवाही दो कुंतल नकली पनीर पकड़ा, दिवाली आई तो जागे अधिकारी
बाजपुर, उधम सिंह नग
अज़हर मलिक / समीर सलमानी , The Great News
बाजपुर, उधम सिंह नगर : बाजपुर में दीपावली के त्यौहार से ठीक पहले खाद्य सुरक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है, लेकिन इस कार्रवाई के साथ एक बड़ा सवाल भी उठ खड़ा हुआ है — आखिर विभाग को ये याद केवल त्योहारों पर ही क्यों आती है कि लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा करनी है? पूरे साल जब बाजारों में मिलावटखोरी खुलेआम चलती रहती है, तब ये सिस्टम आखिर कहां होता है?
खाद्य सुरक्षा विभाग के कुमाऊं डिप्टी कमिश्नर डॉ. राजेंद्र सिंह कठायत के नेतृत्व में टीम ने दोराहा चौकी पुलिस के साथ मिलकर छापेमारी अभियान चलाया। कार्रवाई के दौरान उत्तर प्रदेश से बाजपुर में लाए जा रहे लगभग दो कुंतल पैकेट वाला नकली पनीर और पांच किलो नकली मक्खन जब्त किया गया। मौके पर ही जब जांच की गई तो दोनों पूरी तरह नकली और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पाए गए।
टीम ने मौके पर ही गंदे नाले के पास इन नकली उत्पादों को नष्ट कर दिया। वहीं वाहन चालक से चार पनीर, एक अमूल दूध और एक मक्खन सहित कुल छह सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेज दिए गए हैं।
लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल सैंपल लेकर खानापूर्ति करना ही विभाग की जिम्मेदारी रह गई है? हर साल त्योहारों पर विभाग की “एक्शन मोड” वाली छवि तो दिखती है, लेकिन बाकी महीनों में यही विभाग पूरी तरह गायब रहता है।
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त्योहारों के समय इस तरह की छापेमारी अब औपचारिकता से ज़्यादा कुछ नहीं लगती। लोगों की सेहत के साथ पूरे साल खेल होता है, और कार्रवाई केवल कुछ दिनों की औपचारिक खबर बनकर रह जाती है। ऐसा लगता है जैसे विभाग सिर्फ कैमरे और रिपोर्ट के लिए सक्रिय होता है, न कि जनता की सेहत के लिए।
कार्रवाई के नाम पर विभाग सालभर सोया रहता है, और जब त्यौहार आता है तो अचानक जांच की याद आ जाती है। यह सिस्टम दिखाता है कि खाद्य सुरक्षा का काम अब कागज़ों तक सीमित हो गया है, जबकि लोगों की ज़िंदगी दांव पर लगी रहती है।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारी खुद भी मानते हैं कि नकली खाद्य पदार्थों की सप्लाई रामपुर के टांडा क्षेत्र से उत्तराखंड तक फैली है। बताया गया कि यह नकली सामान बाजपुर, हल्द्वानी और नैनीताल जैसे शहरों में सप्लाई किया जा रहा था। बरहेनी के पास वाहन रोककर टीम ने कार्रवाई की और नमूने जांच के लिए भेजे।
लेकिन बड़ा सवाल अब भी यही है कि अगर यह नेटवर्क महीनों से चल रहा था, तो विभाग को इसकी भनक अब तक क्यों नहीं लगी? क्या यह माना जाए कि त्योहार आने तक जनता की थाली में नकली पनीर और दूध परोसे जाते रहे और अब जाकर “कार्यवाही” याद आई?
ब्रेस्ट तंत्र की यह लापरवाही अब जनता की जान पर भारी पड़ रही है। हर बार त्योहार के वक्त होने वाली खानापूर्ति वाली जांच यह साबित करती है कि सिस्टम अब संवेदनशील नहीं रहा। नतीजा यह है कि लोगों की जिंदगी सस्ती होती जा रही है और सेहत जोखिम में है।
खाद्य सुरक्षा विभाग को अब सिर्फ सैंपल लेने से आगे बढ़कर इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने की दिशा में काम करना होगा। वरना ये नकली खाद्य कारोबार हर साल लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करता रहेगा, और विभाग बस कार्रवाई का दिखावा करता रहेगा।