तराई पश्चिमी डिवीजन के जंगलों में गूंजा हरियाली का उत्सव, पतरामपुर रेंज में हरेला पर्व मनाते दिखे वन रक्षक

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तराई पश्चिमी डिवीजन के जंगलों में गूंजा हरियाली का उत्सव, पतरामपुर रेंज में हरेला पर्व मनाते दिखे वन रक्षक

अज़हर मलिक 

कभी सोचा है कि जंगल सिर्फ पेड़ों से नहीं, परंपरा से भी सांस लेते हैं? उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर मनाया जाने वाला हरेला पर्व, अब केवल एक त्योहार नहीं रहा — यह बन गया है प्रकृति के प्रति प्रेम और संरक्षण का जीता-जागता प्रतीक। और जब इस पर्व में वन विभाग खुद उतर आए, तो हरियाली की उम्मीदें और भी गहरी हो जाती हैं।

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इसी क्रम में आज तराई पश्चिमी डिवीजन के पतरामपुर रेंज में हरेला पर्व पूरे उत्साह, गरिमा और संकल्प के साथ मनाया गया। फॉरेस्ट स्टाफ ने न केवल इस पारंपरिक पर्व को हर्षोल्लास से मनाया, बल्कि जगह-जगह वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का अद्भुत संदेश भी दिया।

 

इस विशेष आयोजन में SDM जसपुर, तहसीलदार जसपुर, और वन क्षेत्रीय अधिकारी महेश बिष्ट की उपस्थिति रही, जिन्होंने कार्यक्रम को दिशा और संबल प्रदान किया। उनके साथ डिप्टी रेंजर रमेश राम, वन दरोगा गणेश जोशी, वन बीट अधिकारी दीपक कुमार, ललित आर्य, तरसेम सिंह, सहित अन्य स्टाफ ने भी सहभागिता निभाई।

 

हरियाली से सजी पंक्तियों में जब बीट अधिकारियों ने अपने हाथों से पौधारोपण किया, तो यह सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि भविष्य को संवारने की प्रतिज्ञा थी।

 

वन विभाग की यह पहल सराहनीय है, जो न केवल पर्यावरण की रक्षा कर रहा है, बल्कि लोक आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को भी जीवित रख रहा है।

यह दिखाता है कि सरकारी ड्यूटी सिर्फ फाइलों और रजिस्टरों तक सीमित नहीं — जब विभाग मैदान में उतरते हैं, तो परिणाम समाज की सोच को बदलने वाला बनता है।

 

हरेला पर्व के इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि उत्तराखंड की मिट्टी में सिर्फ हरियाली ही नहीं, बल्कि उम्मीद भी उगती है।

 

 

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