इच्छाधारी बाबा का पर्दाफाश: तंत्र-मंत्र के नाम पर ठगी का ‘चमत्कारी खेल’, सलाखों के पीछे पहुंचा करोड़ों का जादूगर”
उधमसिंह नगर में एक ऐसा बाबा गिरफ्तार हुआ है जो न तंत्र का ज्ञाता था, न मंत्र का साधक, लेकिन फिर भी उसने आधे राज्य के लोगों की अक्ल को गिरवी रखकर अपने ‘इच्छाधारी’ होने का ऐसा स्वांग रचा कि लोग अपनी जमीन तक उसके चरणों में समर्पित करने लगे। पुलिस ने इस बाबा को दबोचा तो उसके पास से रत्न, चमत्कारी अंगूठियां, नकली नागमणि, और काले वस्त्रों में लिपटे डरावने उपकरण बरामद हुए, लेकिन असली हथियार उसका वह दिमाग था जो उसने जनता की आस्था के खिलाफ प्रयोग किया था। यह बाबा लोगों को यह यकीन दिलाने में कामयाब रहा कि वह इच्छानुसार किसी की किस्मत बदल सकता है, नौकरी दिला सकता है, संतान दे सकता है, बीमारियों को पल में खत्म कर सकता है और जो न हो, वो भी करवा सकता है — बस कुछ दक्षिणा के साथ, जिसे वह ‘दान’ कहता था और जिसे लोग खुशी-खुशी अपनी जमा पूंजी से अदा कर देते थे।
जिनकी औकात किसी मंदिर की सफाई करने तक की नहीं होती, वो जब जालसाजी का भेस पहनकर आस्था के सिंहासन पर बैठते हैं, तो उनके प्रवचन नहीं, उनकी चालाकी सुनाई देती है, और यही चालाकी इस बाबा को बार-बार नए शहर में नए नाम से स्थापित करवा रही थी। मगर इस बार इसकी तांत्रिक चोंचलों का पर्दाफाश पुलिस की उस टीम ने कर दिया जिसने इसके खिलाफ देश के तीन राज्यों से दस्तावेज और पुराने केस खंगालकर यह साबित किया कि यह बाबा नहीं, एक क्रिमिनल सीरियल ठग है। हैरानी की बात ये भी रही कि बाबा का पीछा सिर्फ पुलिस नहीं कर रही थी, बल्कि कुछ ऐसे पीड़ित भी थे जो अपनी जमीन, गहने, पैसा और यहां तक कि अपनी पत्नी की चूड़ियां तक इस बाबा की पूजा में चढ़ा चुके थे।
गिरफ्तारी के वक्त बाबा किसी तांत्रिक अनुष्ठान में लीन था और दावा कर रहा था कि अगले 21 दिनों में वह खुद को गायब कर सकता है, लेकिन किस्मत देखिए, 22वें दिन की सुबह वह जिला जेल की सलाखों के पीछे था। बाबा के खिलाफ देश के कई हिस्सों में महिलाओं से अश्लील हरकतें, बच्चों को डराने, डर का व्यापार करने और धर्म के नाम पर भावनात्मक ठगी करने के केस दर्ज हैं, लेकिन हर बार उसकी कहानी में इतना ‘चमत्कार’ था कि मामला अधर में लटक जाता था। इस बार भी उसने पुलिस को धमकाया कि उसके साथ अन्याय होगा तो शहर में प्रलय आ जाएगी, लेकिन अधिकारियों ने जवाब दिया — अब प्रलय नहीं, कोर्ट आएगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर उस घिनौने सच को उजागर किया है, जिसे हम बार-बार अनदेखा करते हैं — कि अंधविश्वास कभी चमत्कार नहीं लाता, वह सिर्फ विवेक का वध करता है। और जब कोई ठग भगवा पहनकर चमत्कार बेचने लगे, तो समझ जाइए कि वह इंसान की सबसे कमजोर नस — उसका डर — अपनी जेब में लेकर चल रहा है। बाबा की गिरफ्तारी ने समाज को आईना तो दिखा दिया है, लेकिन अब वक्त है कि हम सिर्फ तालियां नहीं बजाएं, बल्कि ऐसे हर चमत्कारी दलाल के खिलाफ आवाज उठाएं, ताकि अगली बार कोई इच्छाधारी बनकर आए, तो जनता खुद कहे — अब नहीं।