बरेली के चिकित्सा जगत में बड़ा ‘खेल’ रसूखदार डॉक्टर के दावों पर उठे सवाल, क्या कागजों में छिपा है कोई गहरा राज? परत दर परत खुलासा!!

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बरेली के चिकित्सा जगत में बड़ा ‘खेल’ रसूखदार डॉक्टर के दावों पर उठे सवाल, क्या कागजों में छिपा है कोई गहरा राज? परत दर परत खुलासा!!

शानू कुमार ब्यूरो / उत्तर प्रदेश

बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली में चिकित्सा जैसे पवित्र पेशे को शर्मसार करने वाला एक संदिग्ध मामला प्रकाश में आया है, जिसने स्वास्थ्य विभाग से लेकर निजी अस्पतालों के गलियारों तक हड़कंप मचा दिया है। शहर के नामचीन अस्पतालों में अपनी सेवाएं देने वाले एक रसूखदार नेफ्रोलॉजिस्ट (गुर्दा रोग विशेषज्ञ) की कार्यप्रणाली और उनके दस्तावेजों की वैधता अब जांच के घेरे में आती दिख रही है।

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सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस पूरे प्रकरण में ‘समय और तारीखों’ का एक ऐसा उलझा हुआ जाल है, जो यह संकेत दे रहा है कि बरेली के एक प्रतिष्ठित निजी चिकित्सा संस्थान में नियमों को ताक पर रखकर मरीजों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था। इस मामले ने न केवल अस्पताल प्रशासन बल्कि पंजीकरण करने वाली संस्थाओं की सतर्कता पर भी बड़े प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं, जिससे पूरे स्वास्थ्य महकमे में बेचैनी का माहौल है।

हैरतअंगेज बात यह है कि इस हाई-प्रोफाइल मामले में आरोप है कि डॉक्टर साहब द्वारा उत्तर प्रदेश मेडिकल काउंसिल में अपना आधिकारिक पंजीकरण और अन्य दस्तावेजों के बिना होने से काफी समय पहले ही शहर के एक नामचीन हॉस्पिटल जैसे बड़े संस्थानों में धड़ल्ले से सेवाएं दी जा रही थीं।

 

 

सबसे गंभीर सवाल यह उठता है कि यदि उस समय उनके पास वैध पंजीकरण नहीं था, तो आखिर किसके ‘रजिस्ट्रेशन नंबर’ की आड़ में मरीजों का इलाज किया जा रहा था? क्या किसी और के डॉक्टर के नाम और साख का इस्तेमाल कर इस बड़े खेल को अंजाम दिया गया? यह मामला केवल एक डॉक्टर की योग्यता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उन सैकड़ों मरीजों के भरोसे का कत्ल है जो इन बड़े अस्पतालों में बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर पहुँचते हैं।

 

 

 

इतना ही नहीं, इस पूरे घटनाक्रम के तार सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना ‘आयुष्मान भारत’ से भी जुड़ते हुए नजर आ रहे हैं। शुरुआती पड़ताल में यह अंदेशा जताया गया है कि अपंजीकृत अवधि के दौरान न केवल सामान्य मरीजों का उपचार हुआ, बल्कि सरकारी योजनाओं के तहत भी संदिग्ध तरीके से अपने नाम का गलत इस्तेमाल कर लाभ लिया गया। जैसे-जैसे इस ‘डॉक्टर के कारनामे’ की परतें खुल रही हैं, वैसे-वैसे बरेली के कई बड़े निजी संस्थानों की मिलीभगत की आशंका भी गहराती जा रही है।

 

 

 

क्या यह एक व्यक्तिगत चूक है या फिर बरेली के स्वास्थ्य तंत्र में जड़ें जमा चुका कोई बहुत बड़ा फर्जीवाड़ा? TheGreatNews.in की विशेष पड़ताल जारी है, और अगले चैप्टर में हम खुलासा करेंगे उन दस्तावेजों का जो इस पूरे राज से पर्दा उठाएंगे।

 

 

अगले अंक में (Coming Soon):

पंजीकरण से पहले इलाज का वो ‘गुप्त’ रिकॉर्ड।

किसके नंबर पर चल रहा था डॉक्टर साहब का क्लिनिक?

आयुष्मान योजना में सेंधमारी के चौंकाने वाले सबूत।

 

 

 

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