हरिद्वार भूमि घोटाले पर धामी सरकार का बड़ा एक्शन: दो IAS, एक PCS सहित 12 अधिकारी निलंबित

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हरिद्वार भूमि घोटाले पर धामी सरकार का बड़ा एक्शन: दो IAS, एक PCS सहित 12 अधिकारी निलंबित

 

देहरादून : उत्तराखंड की धामी सरकार ने हरिद्वार नगर निगम में सामने आए बहुचर्चित भूमि घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दो IAS, एक PCS और नगर निगम से जुड़े अन्य अधिकारियों समेत कुल 12 अधिकारियों को निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। सरकार की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति की स्पष्ट अभिव्यक्ति माना जा रहा है।

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मामला हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय क्षेत्र में 2.3070 हेक्टेयर अनुपयोगी भूमि की खरीदी से जुड़ा है, जो कूड़े के ढेर के पास स्थित थी। इस जमीन की बाज़ार कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये आँकी गई थी, जबकि इसे 54 करोड़ रुपये में खरीदा गया। हैरानी की बात ये है कि इस खरीदी में न तो किसी टेंडर प्रक्रिया का पालन किया गया और न ही जमीन की तत्काल कोई जरूरत थी। इसके अलावा, भूमि उपयोग परिवर्तन की कानूनी प्रक्रिया को मात्र दो दिन में पूरा कर लिया गया, जो सामान्यतः हफ्तों का समय लेती है।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए सचिव रणवीर सिंह चौहान से मामले की जांच करवाई। चौहान ने 29 मई को प्रारंभिक रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसके आधार पर कार्मिक विभाग को कार्रवाई के निर्देश दिए गए। इसके बाद मंगलवार को कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने सात और अधिकारियों को निलंबित कर दिया। इससे पहले तीन अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं और दो की सेवा समाप्त कर दी गई थी।

 

निलंबित अधिकारियों के नाम इस प्रकार हैं:

 

कर्मेंद्र सिंह (IAS), जिलाधिकारी हरिद्वार

 

वरुण चौधरी (IAS), पूर्व नगर आयुक्त

 

अजयवीर सिंह (PCS), उप जिलाधिकारी

 

निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वित्त अधिकारी

 

राजेश कुमार, कानूनगो

 

कमलदास, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी

 

विक्की, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक

 

रविंद्र कुमार दयाल, सहायक नगर आयुक्त

 

आनंद सिंह मिश्रवाण, प्रभारी अधिशासी अभियंता

 

लक्ष्मीकांत भट्ट, कर एवं राजस्व अधीक्षक

 

दिनेश चंद्र कांडपाल, अवर अभियंता

 

वेदपाल, सेवानिवृत्त संपत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त)

 

 

सरकार की ओर से कहा गया है कि मामले की जांच अब उत्तराखंड विजिलेंस विभाग को सौंपी गई है। मुख्यमंत्री धामी ने स्पष्ट कहा है कि राज्य में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता सुनीता विद्यार्थी ने कहा कि मुख्यमंत्री की कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ स्पष्ट संदेश है कि कोई भी कितना भी बड़ा क्यों न हो, बच नहीं पाएगा। कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार ने यह कार्रवाई विपक्ष के दबाव में की है, वरना पहले मामले को दबाने की कोशिश हो रही थी।

 

अब देखना यह है कि विजिलेंस जांच में और कौन-कौन चेहरे सामने आते हैं और क्या यह मामला सिर्फ अधिकारियों तक सीमित रहेगा या कोई बड़ा राजनीतिक नाम भी इसमें सामने आएगा। पर इतना तय है कि हरिद्वार ज़मीन घोटाले ने उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी को झकझोर कर रख दिया है।

 

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