उत्तराखंड में खनन पर धामी सरकार की सख़्ती, लेकिन यूपी बॉर्डर पर डंपरों से उगाही का खेल तेज
वसीम अब्बासी
उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा अवैध खनन पर लगाम लगाने के लिए किए गए कड़े प्रयास अब जमीन पर दिखाई दे रहे हैं। प्रदेश में खनन गतिविधियों पर निगरानी इतनी सख़्त कर दी गई है कि बिना रॉयल्टी के अब कोई भी ट्रक या डंपर सड़क पर नहीं चल सकता। खनन से जुड़े वाहनों की लगातार चेकिंग और फील्ड टीमें सक्रिय होने के कारण अवैध खनन पर लगभग पूरी तरह अंकुश लग चुका है।
लेकिन उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करते ही हालात बदल जाते हैं। ठाकुरद्वारा बॉर्डर के पास कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से फड़ खोल दिए गए हैं जहाँ से गुजरने वाले खनन से भरे डंपरों को जबरन रोका जाता है। कई वाहनों को फड़ संचालकों द्वारा मजबूर किया जाता है कि वे अपना डंपर खाली करें या उसमें से माल कम करें। जिन डंपरों के पास TP नहीं होती, उनसे गुप्त रूप से अवैध शुल्क वसूला जाता है, और चालक विरोध करने की स्थिति में नहीं होते क्योंकि उन्हें धमकाया जाता है।
ठाकुरद्वारा के फॉरेस्ट बैरियर पर भी खनन वाहनों से उगाही की शिकायतें सामने आ रही हैं। यहां वाहनों को रॉयल्टी चेक के नाम पर रोका जाता है, लेकिन TP न होने पर चालकों को अवैध रूप से रकम देने पर मजबूर किया जाता है। हैरानी की बात यह है कि इसी बैरियर पर राजस्व विभाग के कर्मचारियों की भी ड्यूटी लगती है, लेकिन इतने कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद भ्रष्टाचार लगातार चल रहा है। आरोप है कि दोनों विभागों की मिलीभगत के चलते यह उगाही जारी है।
उत्तराखंड में तो खनन व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी और सिस्टम आधारित है, लेकिन यूपी में घुसते ही फड़, बैरियर और अवैध वसूली का सामना करना पड़ता है। उनकी मांग है कि ठाकुरद्वारा बॉर्डर पर लगाए गए फड़ों को तुरंत हटाया जाए और फॉरेस्ट व राजस्व विभाग में तैनात कर्मचारियों की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच हो।
उत्तराखंड में जहां धामी सरकार की सख़्ती से अवैध खनन समाप्त होने की दिशा में काम हुआ है, वहीं यूपी बॉर्डर पर डंपरों से हो रही यह उगाही ट्रांसपोर्टरों के लिए बड़ी परेशानी बन गई है। अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि यूपी प्रशासन इस जारी भ्रष्टाचार पर कब और क्या कार्रवाई करता है।