यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : नियमो को ताक पर रखकर घरों के अंदर अवैध रूप से चलाई जा रही हैं पथोलॉजी लैब, मुख्यचिकित्साधिकारी द्वारा समय समय पर की जा रही सख्त कार्यवाही के बाद भी नही सुधर रहे हैं फर्जी लैब संचालक।
तहसील क्षेत्र में संक्रामक बीमारियों के फैलने के बाद मरीज़ों को जंहा एक ओर बीमारियो की मार झेलनी पड़ रही है तो वंही दूसरी ओर उन्हें गलत इलाज और गलत जांच की वजह से कई बार मौत तक का सामना करना पड़ता है। ताज़ा मामला तहसील क्षेत्र के ग्राम शरीफनगर में देखने को मिला है जंहा एक घर में अवैध रूप से पथोलॉजी लैब का संचालन कर मरीज़ों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। इस पथोलॉजी लैब पर कोई टेक्नीशियन या कोई चिकित्सक नही है और फिर भी लैब को धड़ल्ले से चलाया जा रहा है।
झोलाछापो द्वारा अपने 50 प्रतिशत कमीशन के लालच में अक्सर मरीज़ो को इन अवैध रूप से चलने वाली पथोलॉजी लैबो पर भेज दिया जाता है और उल्टी सीधी रिपोर्टों के आधार पर झोलाछापो द्वारा मरीज़ो का उल्टा सीधा इलाज शुरू कर दिया जाता है। कभी अगर धोखे से तीर निशाने पर लग गया तो ठीक वरना राम नाम सत्य,होना तय है। इसी तरह इसी गांव में कई अन्य पथोलॉजी लैब चलाई जा रही हैं और कमोबेश सभी की हालत यही है। बात करें झोलाछापो कि तो इन दिनों झोलाछापो की भी चांदी हो रही है। ये झोलाछाप चिकित्सक मरीज़ो को अपने छोटे बड़े क्लीनिकों में भर्ती कर अंधाधुन्द ग्लूकोज चढ़ा रहे हैं और उन्हें अनाप शनाप दवाइयां दे रहे हैं कई बार कुछ मरीज़ ठीक हो जाते हैं जबकि अधिकतर मामलों में मरीज की हालत खराब होने पर ये हाथ खड़े कर देते हैं और फिर मरीज के तीमारदारों को उन्हें अक्सर बड़े अस्पतालों में लेकर भागना पड़ता है।
ऐसे में कई मरीज़ो की हालत इतनी खराब हो जाती है कि फिर उन्हें बड़े बड़े चिकित्सक भी बचा नही पाते हैं। नवागत मुख्यचिकित्साधिकारी ने जब से जनपद की बागडोर संभाली है उन्होंने इस फर्जीबाड़े को रोकने के लिए काफी प्रयास किये हैं और कई झोलाछापो और फ़र्ज़ी पथोलॉजी लैबो को सील कर उनके विरुद्ध मुकदमे भी दर्ज कराए हैं लेकिन अभी भी बहुत लोग अपनी हरकतों से बाज़ नही आ रहे हैं और उनका धंधा आज भी बदस्तूर जारी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को और सख्त कदम उठाने होंगे ताकि आम आदमी को इन फ़र्ज़ी पथोलॉजी लैबो और झोलाछापो से मुक्ति मिल सके।