दो बार मुआवजा ले चुके किसानों का भूमि से कोई वास्ता नहीं, सेंचुरी अधिवक्ता

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दो बार मुआवजा ले चुके किसानों का भूमि से कोई वास्ता नहीं, सेंचुरी अधिवक्ता

यामीन विकट

ठाकुरद्वारा : सेंचुरी की भूमि पर किसान दो बार मुआवजा ले चुके हैं और अब निरर्थक रूप से सेंचुरी कंपनी को परेशान किया जा रहा है, ये बात सेंचुरी समूह के अधिवक्ता प्रदीप कुमार द्वारा कही गई है।

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लंबे समय से नेपा की सैकड़ों एकड़ भूमि का विवाद चला आ रहा है। इस मामले में शुक्रवार को सेंचुरी कम्पनी के अधिवक्ता प्रदीप कुमार ने बताया कि वर्ष 1989 में विधि विधान से भारत सरकार के उपक्रम नेपा लिमिटेड के लिए उक्त भूमि का अधिग्रहण किया गया था और 7 सितंबर 1990 को समस्त किसानों को भूमि का मुआवजा दिया गया था।इसके बाद नेपा द्वारा उक्त भूमि पर कुछ कमरे आदि का निर्माण भी कराया गया था।

 

 

 

लेकिन बाद में किसी कारणवश उक्त भूमि पर फैक्ट्री नही लगाई जा सकी और नेपा ने इस भूमि को सेंचुरी कम्पनी को सेल डीड के आधार पर विक्रय कर उक्त भूमि पर सेंचुरी का कब्जा करा दिया था।इसके बाद किसान हाईकोर्ट पँहुचे और उन्होंने कहा कि उन्हें भूमि के 22 करोड़ रुपये मिलने चाहियें तब जिलाधिकारी के माध्यम से उक्त भूमि का 22 करोड़ रुपये का मुआवजा पुनः किसानों को दिया गया। अधिवक्ता का कहना है।

 

 

 

कि दो बार मुआवजा मिलने के बाद भी किसान सुप्रीम कोर्ट पँहुच गए जंहा सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2017 में किसानों की याचिका को गलत बताते हुए उसे खारिज कर दिया।और जब सेंचुरी ने इस भूमि पर निर्माण कार्य करना चाहा तो किसानों ने ये कहकर विरोध शुरू कर दिया कि इस भूमि पर आपका नाम दर्ज नही है जिसपर वर्ष 2023 में सेंचुरी कम्पनी ने भूमि अभिलेखों में अपना नाम दर्ज कराया और कार्य शुरू कर दिया। इसके बाद साबिर नामक किसान ने एक आवेदन दिया कि उक्त भूमि सेंचुरी की है और उसे समस्त अधिकार प्राप्त हैं।

 

 

 

 

अधिवक्ता का कहना है कि इसके साथ ही उसने सेंचुरी कम्पनी से कहा कि वह गरीब व्यक्ति है और उसे आठ दस बीघा भूमि खेती के लिए ठेके पर दे दी जाए भूमि सेंचुरी की ही रहेगी।आरोप है कि इस किसान ने उक्त भूमि पर अवैध कब्जा करने की नीयत से किसान संगठन को भड़का कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया और अपने साथियों के साथ मिलकर सेंचुरी के कर्मचारियों व अधिकारियों को धमकाना शुरू कर दिया।अधिवक्ता का कहना था कि वर्तमान में उक्त भूमि का पूरा मालिकाना हक सेंचुरी का है और चंद लोग किसानों को भड़काकर भूमि की आड़ में अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।

 

 

 

 

बताते चलें कि उक्त भूमि पर न्यायालय का स्टे है कि सेंचुरी द्वारा किसी भी तरह का निर्माण कार्य करने के दौरान किसान कोई विघ्न उत्पन्न नही करेंगे। हाल ही में इसी भूमि पर धरना प्रदर्शन कर रहे लोग स्थानीय प्रशासन से भिड़ गए थे और इसको लेकर 38 नामजद तथा बीस पच्चीस अज्ञात लोगों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया था जिसमे से दो आरोपियों की गिरफ्तारी होने की भी खबर है।

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