भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है

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भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि है,

यामीन विकट

ठाकुरद्वारा : निरंकारी सत्संग भवन पर साप्ताहिक साधसंगत जिसमें प्रचारक श्यामलाल सिंह ने सतगुरु के विचारों को साधसंगत के समक्ष रखा। प्रचारक ने बताया कि निरंकारी मिशन को काफी तप त्याग से स्थापित किया गया है।यह मिशन विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित होकर कार्य करता है।

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उन्होंने आगे कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति में गुरु का स्थान सर्वोपरि होता है। गुरु ही ब्रह्म ज्ञान और भक्ति का दान अपने भक्तों के लिए करते हैं। गुरु ही ब्रह्म है, गुरु ही विष्णु और महेश का रूप होता है। मीरा,कबीर,तुलसीदास और अनेकों संतों ने सदगुरु से ही ब्रह्म ज्ञान पाया और मोक्ष को प्राप्त हुए।सतगुरु इस दुनिया को खुशहाल करने, मानव को मानव से जोड़ता है। इसीलिए निरंकारी सतगुरु कहते हैं धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं। मुखी ब्रह्म प्रकाश गुप्ता ने कहा कि हमें सेवा सिमरन सत्संग हमेशा करते रहना चाहिए। सेवादल संचालक रामकुमार सिंह ने बताया कि हमे हमेशा सतगुरु का शुक्रिया अदा करते हुए जीवन जीना चाहिए।इस दौरान मंच संचालन योगेश कुमार ने किया। साधसंगत में महीपाल सिंह,फूल सिंह,वीरेंद्र गुप्ता,पाकेश चौहान, दीपक कुमार,रघुनाथ सिंह, राकेश कुमार,विशाल, नरेश चंचल, वंदना चौहान,रितु गुप्ता, सुनीता अग्रवाल,कुंवरवती, राजबाला चौहान , वैशाली, लक्ष्मी, सविता, मुन्नी रूहेला,निशा वंदना सहित सैकड़ो भक्तों ने साधसंगत में प्रतिभाग किया।

 

 

 

 

 

 

 

 

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