यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : गलत इलाज व आधी अधूरी जानकारी के कारण डेंगू से हो रहीं हैं मरीज़ो की मौतें, नगर में महामारी बनी बीमारी के लिए एंटीलारवा का छिड़काव न होना भी एक बड़ा कारण।
नगर में पिछले लगभग एक माह से डेंगू मलेरिया और टायफाइड आदि कई किस्म के बुखार ने नगर व क्षेत्र भर के लोगों को अपनी चपेट में ले रखा है। नगर का शायद ही कोई घर ऐसा होगा जंहा बुखार की वजह से घर का कोई न कोई सदस्य बीमार न हो। बीमारी शुरू होते ही सबसे पहले रोगी अक्सर इसे हल्के में लेकर अपने आस पास के ही किसी झोलाछाप से इलाज शुरू करा देता है और शुरू के चार छह दिन वह इन्ही झोलाछापो के चक्कर में उलझा रहता है। ये झोलाछाप अक्सर मरीज़ की उल्टी सीधी जांचे उल्टी सीधी जगह पर कराते हैं क्योंकि इन्हें वँहा से भारी भरकम रकम कमीशन के तौर पर दी जाती है। इन्ही चार छह दिनों में 100 में से 25 लोगों की अक्सर हालत खराब हो जाती है और फिर झोलाछापो द्वारा हाथ खड़े कर दिए जाते हैं कि अपने मरीज़ को बाहर ले जाओ, इसके अलावा इन झोलाछापो के द्वारा अक्सर बिना सोचे समझे मरीज़ो को गुलुकोज़ चढ़ाया जाता है और उसमें हाई एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है जिससे मरीजों की प्लेटलेट्स एकदम से गिर जाती हैं और आमतौर पर देखा गया है कि ऐसे मरीज़ो को फिर बड़े बड़े अस्पताल भी नही सम्भाल पाते और उनकी मौत हो जाती है।कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि बुखार के लक्षणों की शुरुआत में ही मरीजो को योग्य चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए और उनकी ही सलाह पर किसी दवाई का उपयोग करना चाहिए। बात करें इस महामारी की तो सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक नगर में हाल ही में 16 लोगों की अलग अलग दिनों में जान जा चुकी है लेकिन ये सब वो आंकड़े हैं जिनकी जानकारी सरकारी अस्पताल तक पँहुच पाई है जबकि सच्चाई इससे विपरीत है
इस बुखार से अबतक इन आंकड़ों से कई गुना अधिक मौतें हो चुकी हैं। लोगों में जागरूकता की कमी जंहा इस बीमारी से मौत की बड़ी वजह बनी हुई है तो वंही दूसरी ओर नगर में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव न करना और एंटीलारवा को न रोक पाना भी एक अहम वजह है। बताते चले कि नगर में अबतक नाममात्र को कीटनाशक दवाओं का छिड़काव किया गया है और जो किया भी गया है वह दवाई भी इस लार्वा पर बेअसर साबित हुई है खुद नगर पालिका प्रशासन के अनुसार जो दवाइयों का छिड़काव किया गया है वह रखी हुई दवाई है अब कब की रखी हुई है इसका कोई अता पता नहीं है। कुलमिलाकर कहा जा सकता है कि आएदिन इस महामारी की चपेट में आकर असमय हुई इन मौतों के लिए अगर गलत इलाज जिम्मेदार है तो नगर पालिका प्रशासन भी इसके लिए कम ज़िम्मेदार नहीं है। उच्चाधिकारियों को अनेकों बार समाचार पत्रों के माध्यम से इस सबकी जानकारी समय समय पर मिलती रही है लेकिन अभी तक किसी के कानों पर जूं तक नही रेंगी है और नगर व आसपास के क्षेत्र में मौतों का सिलसिला लगातार जारी है।