अलविदा जुमे की नमाज में मुल्क के अमन चैन और भाईचारे के लिए मांगी गई दुआएं
यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : माहे रमजान मुबारक महीने के आखिरी शुक्रवार (अलविदा जुमा) को नगर की अलग- अलग मस्जिदों अलग अलग समय पर नमाज अदा करायी गई। नमाज से पहले लगभग सभी मस्ज़िदों में तकरीर कर रमजान की फ़ज़ीलत के बारे में जानकारी दी गई। रमजानुल मुबारक के आखिरी जुमा में जामा मस्जिद में अलविदा जुमे की नमाज अदा कराई।
नमाज से पहले अपनी मुख्तसर तकरीर में रमजान की अहमियत के बारे में बताते हुए कहा कि रमजान का चांद नजर आते ही शैतान को कैद कर लिया जाता है। रमज़ान में रखे गए रोजे और कुरान की तिलावत बन्दों की शफाअत कराएंगे। नमाज से पहले उन्होंने अपनी तकरीर में कहा कि अल्लाह रब्बुल इज्जत ने रमजान पाक का बड़ा अजीम महीना अता फरमाया है। जिसमें तीन अशरे रहमत, मगफिरत और जहन्नुम से आजादी के होते हैं। इसमें अल्लाह जहन्नुम से आजादी का परवाना देता है और दोजख के दरवाजे बन्द कर दिए जाते हैं और जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। रोजा इफ्तार के वक्त जो दुआ मांगी जाती है, अल्लाह रब्बुल इज्जत उसे कुबूल फरमाता है। नमाज अदा करने के बाद मस्ज़िदों में मुल्क में अमन, चैन और भाईचारे की दुआ मांगी गई। मस्जिदों में सामूहिक रूप से अलविदा जुमा की नमाज अदा की गई। जिससे मुस्लिम समुदाय के लोगों में खुशी देखने को मिली और उन्होंने अल्लाह का शुक्र अदा किया।