प्रसव के दौरान लापरवाही से गर्भवती की मौत: श्रद्धा अस्पताल पर गंभीर आरोप, स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी पर उठे सवाल 

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प्रसव के दौरान लापरवाही से गर्भवती की मौत: श्रद्धा अस्पताल पर गंभीर आरोप, स्वास्थ्य विभाग की अनदेखी पर उठे सवाल 

शानू कुमार 

आंवला(बरेली)। महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के बड़े-बड़े दावे करने वाला स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर सवालों के घेरे में है। आंवला कस्बे के श्रद्धा अस्पताल में प्रसव के दौरान डॉक्टरों की कथित लापरवाही के कारण नौ माह की गर्भवती महिला की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टरों पर घोर लापरवाही और पैसे के लालच में गलत ऑपरेशन करने का आरोप लगाया है।मामला कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला भुर्जी टोला निवासी राहुल का है। राहुल ने बताया कि उनकी पत्नी सोनी (गर्भवती) को 8 दिसंबर की शाम करीब 5 बजे श्रद्धा अस्पताल, तहसील रोड, आंवला में भर्ती कराया गया था। राहुल के मुताबिक, अस्पताल के डॉक्टर अभिषेक सक्सेना और प्रशांत सक्सेना ने दावा किया था

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कि उनके यहां हर सुविधा उपलब्ध है और जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित रहेंगे। डॉक्टरों के इन भरोसों पर पति ने पत्नी का प्रसव वहीं कराने का निर्णय लिया।राहुल के अनुसार, अस्पताल प्रशासन ने प्रसव के दौरान एक ओमवती नामक महिला डॉक्टर से बड़ा ऑपरेशन करवाया, जो खुद को गायनेकॉलॉजिस्ट बताती हैं। ऑपरेशन के कुछ ही समय बाद excessive bleeding (अत्यधिक रक्तस्त्राव) शुरू हो गया। आरोप है कि मौके पर प्रशिक्षित स्टाफ की कमी थी और अस्पताल में मौजूद नर्सें उलटी–सीधी दवाइयों से इलाज की कोशिश करती रहीं। स्थिति बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने महिला को अकेला छोड़ दिया।पीड़ित पति का आरोप है कि 9 दिसंबर की सुबह उसकी पत्नी की हालत बहुत खराब हो गई, जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे मृत अवस्था में ही अपनी प्राइवेट एंबुलेंस से बरेली भिजवा दिया। बरेली के राधिका अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने सोनी को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, महिला की मौत अत्यधिक रक्तस्त्राव और ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई। इस दर्दनाक घटना के बाद परिवार में कोहराम मचा हुआ है। परिजनों का कहना है कि श्रद्धा अस्पताल गलत तरीके से संचालित किया जा रहा है और वहां प्रशिक्षित चिकित्सक एवं नर्सिंग स्टाफ की भारी कमी है।

 

 

यहघटना ऐसे कई मामलों में से एक है जो स्वास्थ्य विभाग की निगरानी व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है।स्थानीय लोगों ने भी स्वास्थ्य विभाग और सीएमओ कार्यालय पर निष्क्रियता और मिलीभगत के आरोप लगाए हैं। लोगों का कहना है कि विभाग के अधिकारी हर बार एफआईआर और जांच के नाम पर फाइलों में मामला दबा देते हैं, जबकि ऐसे अस्पताल खुलेआम लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।फिलहाल प्रार्थी ने कोतवाली आंवला में तहरीर देकर संबंधित डॉक्टरों और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और रिपोर्ट दर्ज होने की प्रक्रिया जारी है।

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