बरेली में सनराइज हॉस्पिटल पर आयुष्मान होने के बाद वसूली के आरोप, डिप्टी सीएमओ डॉ लईक और एसीएमओ डॉ राकेश आमने-सामने, पीड़ित की जांच अधर में लटकी

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बरेली में सनराइज हॉस्पिटल पर आयुष्मान होने के बाद वसूली के आरोप, डिप्टी सीएमओ डॉ लईक और एसीएमओ डॉ राकेश आमने-सामने, पीड़ित की जांच अधर में लटकी

शानू कुमार

बरेली में उर्वेश नाम के मरीज को 25 सितंबर को हेड इंजरी में सनराइज हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था और लगभग 3 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई। परिवार ने गंभीर आरोप लगाए कि अस्पताल प्रबंधन ने आयुष्मान कार्ड होने के बाद भी लाखों रुपये वसूले, और इलाज में भारी अनियमितताएं बरतीं। इसी मामले पर द ग्रेट न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट सामने आई और अस्पताल की संदिग्ध गतिविधियों को उजागर किया गया था जिसके बाद गहनता से इस मामले की जांच शुरू हो गई लेकिन अब हालात यह है कि उस मामले की जांच अधर में लटकी पड़ी है। जानकारी है कि नोडल अधिकारी आयुष्मान पर मामले की फाइल ही नहीं है, वहीं दूसरी ओर इस मामले के बोर्ड में डिप्टी सीएमओ डॉ लईक अहमद भी हैं वहीं चर्चा है डॉ लईक अहमद की मामले में एंट्री के बाद एसीएमओ और डिप्टी सीएमओ आमने सामने आ गए हैं, अब चर्चा ये है कि आखिर फाइल का निस्तारण करेगा कौन!!

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इस मामले की जांच नोडल अधिकारी आयुष्मान एसीएमओ डॉ राकेश सिंह, डिप्टी सीएमओ डॉ लईक अहमद और डॉ एम पी सिंह जो कि सर्जन हैं इससे पहले मामले में सबसे बड़ा झटका तब लगा था जब आयुष्मान भारत योजना जिला शिकायत प्रकोष्ठ के सदस्य आमिर बेग की गतिविधियाँ संदिग्ध पाई गईं। कई शिकायतों में उनकी भूमिका पर सवाल उठने के बाद उन्हें तत्काल इस शिकायत पैनल बोर्ड से बाहर कर दिया गया था। आमिर बेग को हटाने के बाद कई दिन बीत जाने के बाद भी जांच अधर में लटकी पड़ी है कोई भी उस जांच को तरफ देखना नहीं चाह रहा है। सूत्रों कि माने तो इस मामले को निपटाने का प्रयास किया जा रहा है। शिकायत प्रकोष्ठ के आमिर बेग की भूमिका संदिग्ध पर सीएमओ डॉ विश्राम सिंह ने डिप्टी सीएमओ डॉ लईक अहमद की इस मामले में एंट्री दी थी जिसके बाद जांच अधर में लटकी हुई है।

 

 

जानकारी के मुताबिक अस्पताल के मैनेजर बताए जा रहे सोहेल पर भी गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने परिवार से पैसे मांगे और आयुष्मान योजना का लाभ देने के बजाय कैश पेमेंट के लिए दबाव बनाया। पीड़ित परिवार के बयान से स्पष्ट है कि Sunrise Hospital पर लापरवाही, वसूली और गलत इलाज के गंभीर आरोप हैं।

 

 

यह मामला उत्तर प्रदेश में एक बड़ी मिसाल बनकर सामने आया है कि आयुष्मान भारत गरीबों का हक है, किसी की कमाई का जरिया नहीं। विभाग ने संकेत दिए हैं कि जो भी इस योजना में फर्जीवाड़ा करेगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

 

 

 

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