यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : उत्तरप्रदेश सरकार लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने का दावा करने वाले मंत्रियों व अधिकारियों के दावों में कितना दम है। इसका अंदाजा नगर के स्वास्थय केंद्र की हालत देखकर लगाया जा सकता है। ताज़ा मामला शनिवार को उस समय देखने में आया जब नगर निवासी और वरिष्ठ पत्रकार यामीन विकट कवरेज के लिए नगर के सरकारी अस्पताल जा रहे थे और अचानक उन्हें चक्कर आया और वह सड़क पर गिरकर बेहोश हो गए।
साथी पत्रकार आनन फानन में उन्हें अस्पताल ले गए जंहा आधे घण्टे तक किसी ने उन्हें नही देखा पत्रकार शोर मचाते हुए इधर से उधर दौड़ते रहे लेकिन किसी ने ब्लड प्रेशर तक नही नापा। इसके बाद थके हारे पत्रकार उन्हें एक निजी अस्पताल में लेकर गए। इस बात से साफ अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि रोज़ाना चार छह बार जाने वाले पत्रकार को ही जब इस प्रकार की लापरवाही का सामना करना पड़ रहा है तो बाकी मरीज़ो की क्या हालत होती होगी।
इन्ही लापरवाहियों के कारण और डाक्टरों के अभाव में मरीज़ो की संख्या घटकर आधी रह गई है। लोगों को मजबूरन निजी अस्पतालों में जाना पड़ता है जिसके चलते सरकारी अस्पताल का लाभ ग्रामीणों को भी नही मिल रहा है यहां सड़क दुर्घटना, , मौसमी बीमारियों सहित डिलीवरी के ज्यादातर प्रकरण पहुंच रहे हैं।
लेकिन मरीजों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों द्वारा प्राथमिक उपचार देकर रैफर कर दिया जाता है। उधर दुर्घटनाओं का शिकार हुए घायलों के लिए नगर का सरकारी अस्पताल इस सबसे भी कंही ज़्यादा बुरा साबित होता है क्योंकि ऐसे घायलों के लिए न कोई सुविधा उपलब्ध है और न ही ऐसे चिकित्सक हैं जो समय पर उनकी जान बचा सकें।