यह निर्णय भारतीय मुसलमानों और विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोषजनक है। मदनी
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट कर सांवैधानिक सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित किया है। मदनी
देवबंद : जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड की वैधता के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया और इसे मदरसा समुदाय के लिए न्याय की जीत बताया।
बता दें कि, सुप्रीम कोर्ट की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यूपी मदरसा बोर्ड एक्ट-2004 को सांवैधानिक करार दिया है। जिससे राज्य के लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिली है। मदरसा बोर्ड की वैधता पर सुप्रीम मुहर लगने को लेकर मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि यह निर्णय भारतीय मुसलमानों और विशेष रूप से मदरसों से जुड़े लोगों के लिए संतोषजनक है। हम इसे केवल मदरसा बोर्ड के संदर्भ में नहीं देख रहे, बल्कि इसमें मदरसों के विरुद्ध नकारात्मक अभियान चलाने वाले सरकारी और गैर-सरकारी तत्वों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश छिपा है।
मौलाना मदनी ने कहा कि लगातार यह शिकायत रही है कि निचली अदालतें अपने फैसलों में संतुलन नहीं रख पाती हैं और अकसर पुलिस व सरकारी पक्ष के अनुसार फैसला करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलट कर सांवैधानिक सिद्धांतों का पालन सुनिश्चित किया है। उन्होंने कहा कि देश के सभी वर्गों को जीने का समान अधिकार प्राप्त है। वर्तमान में मुसलमान खुद को अलग-थलग और असहाय महसूस कर रहा है।
आरोप लगाया कि सांप्रदायिक शक्तियां और सत्ता में बैठे हुए सरकार के कई मंत्री खुलेआम हिंसा का आह्वान कर रहे हैं और मदरसों के अस्तित्व को बोझ बनाकर प्रस्तुत कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में सुप्रीम कोर्ट का यह बयान बेहद महत्वपूर्ण, सीख देने वाला और देश के लोगों को जागृत करने वाला है।