UP News: HC की Lucknow बेंच ने इनकम टैक्स के असिस्टेंट  कमिश्नर हरीश गिडवानी को 7 दिन की जेल

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UP News: HC की Lucknow बेंच ने इनकम टैक्स के असिस्टेंट  कमिश्नर हरीश गिडवानी को 7 दिन की जेल

इनकम टैक्स विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर रैंक के अधिकारी को कभी कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट में जेल जाते सुना है? हमने भी नहीं सुना था। लेकिन हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने लखनऊ में तैनात इनकम टैक्स के असिस्टेंट कमिश्नर हरीश गिडवानी को 7 दिन की जेल की सजा सुनाई है।

क्यों यह सजा सुनाई गई? क्या मामला था? मीडिया से बात करते हुए पूरे मामले की जानकारी राधिका सिंह ने दी राधिका सिंह वही हैं जिन की बहस के बाद असिस्टेंट कमिश्नर साहब को 7 दिन की जेल हुई है।एडवोकेट राधिका ने जानकारी देते हुए बताया की ये मामला था पे जुरिस दीक्षित का इश्यू था। 2015 में ये डिसाइड हो गया था। डिविजन बेंच का ऑर्डर आ गया था कि जुरिस्डिक्षन जो है वो जो यहाँ पे एक वकील का ही मैटर था जो की है।
सीनियर ऐडवोकेट प्रशांत चंद्रा, डेजिग्नेटेड एडवोकेट, लखनऊ हाईकोर्ट के उनका मैटर था। तो ये न्यायालय ने ये आदेश डिविजन बेंच ने पारित कर दिया था कि जुरिस्डिक्षन जो है वो दिल्ली है और आप ये नोटिस जो 52,00,000 की आपने इश्यू किया है। ये गलत है। आपने नहीं माना आप पड़े रहे, आपने हमें वापस एक और नोटिस इश्यू कर दी। फॉर के सबसे कैनटिअर आपने दूसरे ईयर के लिए हमें वापस नोटिस इश्यू कर दी और जो हमारी 52,00,000 की डिमांड थी, जो कि क्रॉस हो गई थी। हाई कोर्ट ने जीस को गलत मान लिया था, वो भी आपने पोर्टल से नहीं हटाया।
हमने आपको कई मर्तबा लिखा कि ये गलत है। न्यायालय का यह आदेश है। आप ने नहीं माना पड़े रहे। हमने 2016 में फाइल कर दी। 2016 से वो कॉन्टैक्ट सुनवाना हमारे लिए बड़ा मुश्किल हो गया था। 2022 में एक ऐसा ऑर्डर भी था कि जल्दी से जो भी पुरानी पिटिशन है वो डिस्पोस ऑफ हो तो उस आदेश का हमें बेनिफिट भी मिला। फिर भी तारीख लेने की कोशिश की गई। उनके वकील की तरफ से बट हमें इस कोड का टेंशन मिला और रिग्रेसिव ऑब्जेक्शन रहा। मेरी तरफ से की अब तारीख नहीं मिलनी चाहिए क्योंकि 2023 में ये रिटायर हो रहे हैं। मटर इन फ्रैक्चर हो जाएगा इनकी तरफ से फिर भी ये सीधा ली ले आई की। इनका पैन एड्रेस लखनऊ का था इसलिए मेरा जुरिस्डिक्षन बना जबकि पैन एड्रेस ये प्रूफ हो गया। कोर्ट के सामने ही दिल्ली का था। इनकी तरफ से कई बार ये कहा गया कि नहीं हमारे पास जुरिस्डिक्षन हैं जो कि प्रूफ हो गया की ना ले। अगर कह रही है आपका ऐक्ट कह रहा है कि अगर आपको फिर भी कोई कन्फ्यूजन की जरूरत दर्शन की तो आप सेक्शन 124+2 में चीफ कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स को रेफर कर देते हैं। आपने क्यों नहीं मैटर रेफर किया? इनके पास कोई जवाब नहीं था। इसका ये सब देखते हुए कोर्ट को बहस के दौरान कही ना कही ये भी बहस हुई की यहाँ पे सिर्फ मिस यूज़ ऑफ पावर नहीं है अथॉरिटी की तरफ से बल्कि अब यूज़ ऑफ पावर है। किस तरह पावर? वो भी इनकम टैक्स ऑफिसर जिन पर हम इतना फेत करते हैं जिनको हमने अथॉरिटी दी है कि वो हमें ठीक से गवर्न करें। ये कहीं ना कहीं कोर्ट को लगा समझाया तभी ऐसी पनिशमेंट और एक मैसेज जाने के लिए की। यहाँ रूल ऑफ लॉ है।
 बिल्कुल जब 16 तारीख को यह आदेश पारित हुआ 1:00 बजे के करीब 2:03 बजे इनको सरेंडर करने को कह दिया गया था और रजिस्ट्रार के सामने पर इनके वकील मनीष मिश्रा साहब की तरफ से रिक्वेस्ट आयी और उन्होंने इन पर्सन भी मर्सी प्ली किया जो कि उन्होंने बहस के दौरान जो कि घंटो बहस चली है, उन्होंने कहीं भी अपोलोजी अनकन्डिशनल एफआईडी अपोलोजी टेंडर नहीं की। कल आदेश पारित के बाद 16 तारीख को इन्होंने मुर्सी प्ली की तो कोर्ट ने इनको थोड़ा समय दिया जो कि 22 तारीख का 22 तारीख को ये एग्जीक्यूटिव होगा। ऑर्डर इनको सरेंडर करना होगा रजिस्ट्रार के सामने, जिसमें 7 दिन की जेल और 25,000 का जुर्माना लगा है। अंडर सेक्शन 12 के कॉन्टेंट कोर्ट्स ऐक्ट ऑन ऐट सो टु गीव थिस मैसेज। इस आदेश से आम जनता को ये बल मिलेगा कि अगर ऑफिसर गलत करती है।
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