उत्तर प्रदेश के खनन माफियाओं पर उत्तराखंड के अधिकारियों का एक्शन Forest Department

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Forest Department : तराई पश्चिमी डिवीजन क्षेत्र में खनन माफियाओं से वन विभाग की जंग लगातार जारी है वन विभाग की टीम खनन माफियाओं के वाहनों पर कार्रवाई कर खनन माफियाओं को कानूनी पाठ पढ़ने का काम कर रही है, उसके बावजूद भी खनन माफिया आपने अवैध खनन के कारोबार को गैर कानूनी तरीके से अंजाम देने से नहीं चूक रहे।

 

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जिसकी रोकथाम हेतु डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य द्वारा लगातार वन विभाग की टीमों को निर्देश दिए हैं कि अवैध खनन माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए जिसको लेकर वन विभाग की टीम भी लगातार सक्रिय दिखाई दे रही है और खनन माफिया के वाहनों पर कार्रवाई कर रही है उसी क्रम में आज फिर वन विभाग की टीम ने सुरक्षा बल द्वारा गश्त के दौरान वाहन चेकिंग करते समय कोसी कांटा से डंपर 14 टायरा रजिस्ट्रेशन संख्या UP 25 FT 8938 को बिना रॉयल्टी के उप खनिज ले जाते हुए पकड़ा वाहन को वन अभीरक्षा में लेकर बन्नाखेड़ा राजि परिसर में सुरक्षित खड़ा किया गया।

Forest Department

 

वन विभाग की ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद भी खनन माफियाओं के हौसले टूटने का नाम नहीं ले रहे खनन माफिया लगातार वन विभाग की टीम से आंख मिचौली का खेल खेलने में लगे हैं जैसे ही वन विभाग की टीम से बचने का मौका मिलते हैं तो खनन माफिया अपने वाहन को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाते हैं।

 

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खनन माफियाओं द्वारा अधिकारियों से बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे भी अपने जा रहे हैं उसी है हथ कांडों में से एक हथकांड है व्हाट्सएप ग्रुप, व्हाट्सएप ग्रुप द्वारा खंड माफियाओं ने कुछ फील्डरों को जगह-जगह नियुक्त कर रखा है जो अधिकारियों के वाहनों का पीछा कर अधिकारियों की सिक्योरिटी में भी हनन करते हैं साथ ही काम में भी वादा डालने का काम कर रहे हैं। जैसे ही जिम्मेदार ईमानदार अधिकारी अपने दफ्तरों से बाहर कार्रवाई के लिए निकलते हैं।

 

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तो खनन माफियाओं के फील्डरों द्वारा इन अधिकारियों की सूचना व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दी जाती है और खनन माफियाओं को बता दिया जाता है, सूचना मिलने ही खनन माफियोओ द्वारा वाहनों को इधर-उधर छुपा देते हैं, इतना ही नहीं इस व्हाट्सएप ग्रुप में अधिकारी की छोटी से छोटी जानकारी व्हाट्सएप्प ग्रुप में शेर की जाती है अधिकारी कब अपने परिवार के साथ मिलता है कब अपने परिवार के साथ कहां जा रहा है।

 

 

 

ऐसे में आप अंदाजा लगाइए कि कितना घातक और खतरनाक हो सकता है एक जिम्मेदार अधिकारी अपनी जान पर खेल कर कार्रवाई करता है और उसे कुछ लोगों द्वारा उसकी प्राइवेसी पब्लिक कर दी जाती है।

 

 

 

 

 

 

 

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