योगी जी यहां चल रहा है मौत का खेल फर्जी अस्पतालों पर आपके अधिकारी क्यों है मौन
यामीन विकट
ठाकुरद्वारा : झोला छाप चिकित्सकों द्वारा चलाये जा रहे फ़र्ज़ी अस्पताल में भारी लापरवाही से प्रसव पीड़ा के बाद भर्ती की गई महिला की जान चली गई आएदिन नगर में इन अस्पतालों के कारण हो रही मोतो पर प्रशासनिक अधिकारियों की चुप्पी से साबित होता है कि इन झोलाछापो को स्वास्थ्य विभाग की शय है और उन्हीं के रहमो करम पर चल रहे इन अस्पतालों को किसी की भी जान से खिलवाड़ करने की पूरी छूट मिली हुई है।
नगर के तिकोनिया बस स्टैंड के पास नूर करीम होटल के निकट स्थित एक हॉस्पिटल में शनिवार को उस समय खासा हंगामा शुरू हो गया जब प्रसव पीड़ा के बाद निकटवर्ती ग्राम मानपुर दत्तराम निवासी इंद्रेश शर्मा की पत्नी प्रियंका शर्मा की झोलाछाप चिकित्सको के इलाज के कारण जान चली गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार गर्भवती प्रियंका को प्रसव पीड़ा होने पर उक्त फ़र्ज़ी अस्पताल में बीती दो अगस्त को भर्ती कराया गया था।
परिजनों के अनुसार उसकी हालत बिल्कुल सामान्य थी लेकिन जैसे जैसे अस्पताल के फ़र्ज़ी चिकित्सकों ने उसका इलाज शुरू किया तो हालत खराब होती चली गई और लगभग 24 घण्टे के बाद जब उसकी हालत बेहद गम्भीर हो गई तो झोलाछापो ने हाथ खड़े कर दिए और तब गर्भवती को बाहर ले जाने की सलाह देकर अपना पीछा छुड़ा लिया।
परेशान परिजन गर्भवती महिला को अलग अलग कई अस्पतालों में लिए घूमते रहे लेकिन शनिवार की सुबह उसकी मौत हो गई।इस बात से गुस्साए मृतका के परिजन प्रियंका के शव को लेकर हंस हॉस्पिटल में पँहुच गए जंहा परिजनों ने जमकर हंगामा करते हुए चिकित्सकों पर घोर लापरवाही के आरोप लगाते हुए अस्पताल के चिकित्सकों पर कार्यवाही की मांग की।
घटना की सूचना पर कोतवाली पुलिस भी मौके पर जा पँहुची और हंगामा कर रहे मृतका के परिजनों को किसी तरह शांत किया। उधर अस्पताल में हंगामा शुरू होने से पहले ही झोलाछाप चिकित्सक मोके से भाग गए।

इस दौरान मौके पर मौजूद पुलिस ने मीडियाकर्मियों को बताया है कि इस मामले में वह सीधे तौर पर कोई कार्यवाही नहीं कर सकते हैं और कोई भी कार्यवाही मुख्य चिकित्साधिकारी के आदेश के बाद ही कि जाएगी। बताते चलें कि इससे पूर्व भी उक्त फ़र्ज़ी अस्पताल सहित कई अन्य अस्पतालों पर जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा छापेमारी कर इन अस्पतालों को सील किया जाता रहा है
लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि कुछ दिन के बाद ही इन सभी अस्पतालों को फिर से खुलवा दिया जाता है और इन अस्पतालों में फिर से मौत का नँगा नाच शुरू हो जाता है। अकेले नगर के ही इन फ़र्ज़ी अस्पतालों की बात करें तो दर्जनों ऐसे अस्पताल धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं लेकिन इनपर कभी कोई ठोस कार्यवाही नहीं कि जाती है बस छापेमारी कर इन्हें चार छह दिन के लिए बन्द कर दिया जाता है और फिर इन्हें लोगो की जान से खेलने का सर्टिफिकेट दे दिया जाता है।
स्वास्थ्य विभाग के इस रवैय्ये को लेकर नगर में अब इस तरह की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ लिया है कि इन फ़र्ज़ी अस्पतालों से और झोलाछाप चिकित्सकों से एक तय शुदा रकम की हर माह वसूली की जाती है और फिर यही फ़र्ज़ी अस्पताल दूध के धुले मान लिए जाते हैं। मामला कुछ भी हो लेकिन जिस प्रियंका शर्मा की जान इन झोलाछापो ने ली है उसकी शादी अभी दो साल पहले ही हुई थी।
और वह पहली बार ही किसी बच्चे को जन्म देने वाली थी लेकिन घोर लापरवाही के चलते इन झोलाछापो ने एक नव विवाहिता की जान ले ली है। जिससे मृतका के परिजनों का रोते बिलखते बुरा हाल है।
अब देखना होगा कि इतना सब कुछ होने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग कोई ठोस कदम उठाता है या फिर पहले हुई मौतों की तरह इस मौत को भी यूँ ही भुला दिया जाएगा।