वन अधिकार कानून पर बड़ा मंथन: चंपावत में सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की मौजूदगी में वनवासी समुदायों को मिला कानूनी संबल

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वन अधिकार कानून पर बड़ा मंथन: चंपावत में सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की मौजूदगी में वनवासी समुदायों को मिला कानूनी संबल

मुकेश कुमार 

चंपावत : उत्तराखंड में वन अधिकार अधिनियम, 2006 के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर रविवार को चंपावत में एक महत्वपूर्ण पहल सामने आई। उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित बहुउद्देश्यीय विधिक जागरूकता शिविर में वनवासी वन गुज्जर एवं गोट खत्ता निवासी समुदायों के अधिकारों, समस्याओं और समाधान पर विस्तार से चर्चा की गई।

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वही शिविर में वनवासी समुदायों की ओर से (वन गुज्जर) पेस्टोरल यूथ एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद इशाक ने संबोधन करते हुए कहा कि वन अधिकार अधिनियम को धरातल पर उतारने के लिए व्यापक जागरूकता कार्यक्रमों की अत्यंत आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल वनवासी समुदाय ही नहीं, बल्कि उप-जिला स्तरीय समितियों और जिला स्तरीय समितियों को भी वन अधिकार कानून के प्रावधानों की पूर्ण जानकारी होना जरूरी है, ताकि पात्र लोगों को समय पर उनका अधिकार मिल सके।

कार्यक्रम के दौरान वन गुज्जर एवं गोट खत्ता निवासियों के सामने आने वाली सबसे बड़ी समस्या दस्तावेज़ीकरण से जुड़ी कठिनाइयों को बताया गया, जो उनके वन अधिकारों की प्राप्ति में बाधा बन रही हैं। साथ ही वन क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, पशु चिकित्सा सेवाओं, सड़कों तथा अन्य मूलभूत सुविधाओं की कमी को भी गंभीर मुद्दा बताया गया।

इस अवसर पर थिंक राइज़ एक्ट फाउंडेशन के सचिव अर्जुन कसाना ने वन अधिकार अधिनियम से जुड़े विधिक पक्षों की जानकारी देते हुए बताया कि उचित दस्तावेज़ और सही कानूनी मार्गदर्शन से वनवासी समुदाय अपने अधिकार सुरक्षित कर सकते हैं। वहीं कुमाऊं मंडल के वरिष्ठ समुदाय नेता गुलाम रसूल (गामा जी) ने भी अपने अनुभव साझा किए।

न्यायपालिका की गरिमामयी उपस्थिति

विधिक जागरूकता शिविर में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन. कोटिस्वर सिंह, उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष एवं उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी, न्यायमूर्ति रविंदर मैथानी, न्यायमूर्ति राकेश थापलियाल तथा न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की उपस्थिति ने कार्यक्रम को विशेष गरिमा प्रदान की। इसके अतिरिक्त उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रदीप कुमार मणि, जिला न्यायाधीश, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिला मजिस्ट्रेट चंपावत तथा सेवानिवृत्त पूर्व सैन्य अधिकारी कर्नल उमेद सिंह और कैप्टन गंभीर सिंह धामी सहित दिशा सोशल ऑर्गनाइजेशन से सत्यम कुमार भी मौजूद रहे।

कार्यक्रम में विभिन्न वन बस्तियों (खत्ताओं) से बड़ी संख्या में वनवासी एवं पशुपालक समुदाय के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम के समापन पर मोहम्मद इशाक ने शमशाद, अमिया, अमन, हमजा, प्रणव सहित सभी सहयोगियों और समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सामूहिक प्रयासों से ही वनवासी एवं पशुपालक समुदायों को उनके संवैधानिक और कानूनी अधिकार दिलाए जा सकते हैं।

 

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