आयुर्वेद यूनिवर्सिटी मर्म चिकित्सा पद्धति लोगों को कई पुराने रोगों से निजात
उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी के हरिद्वार स्थित गुरुकुल और ऋषिकुल कैंपस में मर्म चिकित्सा पद्धति लोगों को कई पुराने रोगों से निजात दिला रही है। ये चिकित्सा पद्धति शरीर और मांसपेशियों के दर्द में संजीवनी साबित हो रही है। मर्म चिकित्सा के अचूक परिणामों को जानकर दूसरे राज्यों के आयुर्वेद डॉक्टर भी यहां ट्रेनिंग लेने पहुंचते हैं।
आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा को ऋषियों और वैज्ञानिकों ने विकसित किया है। लेकिन मर्म चिकित्सा को प्रकृति की ओर से दी गई चिकित्सा कहा जाता है। इसमें शरीर के कुल 107 बिंदुओं को दबाकर कई रोगों का इलाज किया जाता है। मांसपेशियों के दर्द में मर्म चिकित्सा पद्धति बहुत कारगर है। मर्म चिकित्सा पर शोध करने वाले डॉक्टर सुनील जोशी के मुताबिक लोगों में मर्म चिकित्सा पद्धति को लेकर अब काफी जागरूकता आ रही है।
गुरुकुल और ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज में भर्ती कई मरीज नियमित रूप से मर्म चिकित्सा करा रहे हैं। वहीं बाहर से पहुंचने वाले दूसरे मरीज भी इस चिकित्सा पद्धति को कारगर मानते हैं। वे कहते हैं की मर्म चिकित्सा से उन्हें पुराने दर्द से राहत मिली है।
अपने हाथों से मरीजों को मर्म उपचार देने वाले डॉक्टर राजीव कुमार बताते हैं कि मर्म बिंदुओं को दबाने के बाद कई मरीज त्वरित मिलने वाली राहत के बारे में बताते हैं। हर बीमारी के लिए अलग-अलग मर्म यानी बिंदु को निर्धारित समय तक दबाया जाता है। जिससे रोगों में स्थाई रूप से फायदा मिलता है।
उत्तराखंड आयुर्वेद यूनिवर्सिटी का ऋषिकुल और गुरुकुल केंपस मर्म चिकित्सा पद्धति का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। मर्म चिकित्सा पर हुए गहन शोध के बाद यूनिवर्सिटी में इसे एक उपचार पद्धति के रूप में मान्यता मिली है। वहीं दूसरे प्रदेशों के आयुर्वेद डॉक्टर भी यहां इस चिकित्सा पद्धति के बारे में जानने के लिए पहुंचते रहते हैं।