उत्तराखंड की सूखती पहचान को फिर से संजीवनी देने की कोशिश, मुख्यमंत्री ने दिए स्पष्ट निर्देश
प्राकृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने की मुहिम में जुटी सरकार
अज़हर मलिक
देहरादून : उत्तर प्रदेश से अलग होकर बने उत्तराखंड ने अपनी पहचान प्रकृति की खूबसूरती, नदियों की निर्मल धारा और झरनों की शीतलता के रूप में बनाई थी। लेकिन बीते वर्षों में प्रशासनिक लापरवाही और स्थानीय स्तर पर बढ़ती अनदेखी ने इस पहचान को धुंधला कर दिया। पहाड़ों का सीना चीरकर किए जा रहे अवैध खनन और कंक्रीट के विस्तार ने प्राकृतिक सौंदर्य को गहरा नुकसान पहुंचाया है।
अब इस दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश की मृतप्राय नदियों और सूख चुके झरनों को पुनर्जीवित करने की ठोस योजना बनाई जाए। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाए कि जहां प्राकृतिक जलधाराएं खत्म हो चुकी हैं, वहां उनके मूल स्वरूप को लौटाने के प्रयास किए जाएं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि प्राकृतिक संसाधन केवल पर्यटन का आधार नहीं, बल्कि राज्य की असल पहचान हैं। इन्हें संरक्षित करना हमारा दायित्व है। उन्होंने अवैध खनन पर रोक लगाने, जल स्रोतों की निगरानी बढ़ाने और जनसहभागिता के साथ पर्यावरणीय पुनर्जीवन की दिशा में अभियान चलाने के निर्देश भी दिए।
जल्द ही जिला स्तर पर विशेष सर्वे शुरू किए जाएंगे और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में काम आरंभ किया जाएगा। सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में उत्तराखंड की खोती हुई प्राकृतिक पहचान को फिर से जीवंत किया जा सके।