उत्तराखंड में अक्टूबर से शुरू होगी बाघों की गिनती, वन विभाग ने शुरू की तैयारियां
उत्तराखंड के जंगलों में एक बार फिर हलचल शुरू होने जा रही है, लेकिन इस बार बाघों की दहाड़ नहीं बल्कि उनकी संख्या गिनने की तैयारी है। राज्य में अक्टूबर 2025 से बाघों की गणना का पहला चरण शुरू किया जाएगा, जिसके तहत वैज्ञानिक सर्वेक्षण और आधुनिक तकनीकों के सहारे बाघों की मौजूदा स्थिति का आकलन किया जाएगा।
उत्तराखंड में पिछली बार साल 2022 में टाइगर सेंसस हुआ था, जिसमें कुल 560 बाघ दर्ज किए गए थे। यह आंकड़ा न केवल राज्य के लिए गर्व की बात थी बल्कि पूरे देश में उत्तराखंड को तीसरे स्थान पर ला खड़ा किया था। अब 2025 में फिर से गणना की तैयारी तेज कर दी गई है।
इस संबंध में प्रमुख वन संरक्षक डॉ. समीर सिंहा ने जानकारी दी कि यह प्रक्रिया भारत सरकार और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) के दिशा-निर्देशों के अनुसार हर चार साल में की जाती है। इस बार भी पूरे तराई बेल्ट और अन्य प्रमुख टाइगर जोन को शामिल करते हुए एक समग्र सर्वे अभियान चलाया जाएगा।
बाघों की गिनती के लिए कैमरा ट्रैप, पगमार्क, मल के सैंपल, GPS मॉनिटरिंग और ऑन-ग्राउंड फील्ड स्टाफ की मदद से विस्तृत डेटा इकट्ठा किया जाएगा। सर्वे के दौरान उन क्षेत्रों पर खास ध्यान रहेगा जहां पहले बाघों की उपस्थिति लगातार रही है।
डॉ. समीर सिंहा ने भरोसा जताया है कि इस बार के नतीजे भी उत्साहवर्धक होंगे। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में निरंतर कार्य हो रहा है, और बाघों की संख्या बढ़ना इसी का प्रमाण है। हमें भरोसा है कि आने वाले आंकड़े हमारी उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।”
सिर्फ बाघों की संख्या ही नहीं, यह सर्वे यह भी दर्शाएगा कि किस इलाके में संरक्षण की और अधिक आवश्यकता है, कहां मानव-बाघ संघर्ष की आशंका है और किन क्षेत्रों को अधिक सुरक्षित बनाने की आवश्यकता है। इस तरह यह गिनती उत्तराखंड की पर्यावरणीय सेहत का भी एक अहम संकेतक बनेगी।
वन विभाग इस बार स्थानीय लोगों, ग्राम स्तरीय फॉरेस्ट वॉलंटियर्स और अधिकारियों को मिलाकर एक समर्पित टीम तैयार कर रहा है ताकि आंकड़ों की सटीकता और पारदर्शिता बनी रहे।
उम्मीद की जा रही है कि 2025 की गिनती उत्तराखंड के लिए और भी गौरवशाली साबित होगी और राज्य एक बार फिर से देश में बाघों के संरक्षण के क्षेत्र में मिसाल पेश करेगा।