30 जून से पहले कांग्रेस के ‘BLA प्लान’ की एंट्री, लेकिन क्या काशीपुर संगठन के पास है ज़मीनी ताकत?

Advertisements

30 जून से पहले कांग्रेस के ‘BLA प्लान’ की एंट्री, लेकिन क्या काशीपुर संगठन के पास है ज़मीनी ताकत?

कांग्रेस हाईकमान ने बूथ स्तर पर अपनी जड़ें मज़बूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने निर्देश जारी कर दिए हैं कि 30 जून से पहले उत्तराखंड की हर विधानसभा के हर बूथ पर बीएलए  यानी बूथ लेवल एजेंट  नियुक्त कर दिए जाएं। ये बीएलए सरकारी बीएलएओ के साथ मिलकर वोटर लिस्ट की निगरानी करेंगे, नए मतदाताओं के नाम जुड़वाने, पुराने और फर्जी नाम हटवाने में मदद करेंगे। लेकिन इस फैसले के पीछे असली कहानी क्या है? क्या कांग्रेस अब माइक्रो-लेवल पर चुनावी जंग की तैयारी कर रही है? या फिर ये कोई रणनीतिक कदम है ताकि 2027 की लड़ाई अभी से शुरू की जा सके?

राजनीति के गलियारों में चर्चा है कि बीएलए की ये नियुक्ति सिर्फ एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि कांग्रेस की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वो जमीनी स्तर पर अपनी खोई हुई पकड़ को वापस पाना चाहती है। लेकिन क्या ये फैसला फर्जी वोटरों पर शिकंजा कसने के लिए है या मतदाता जागरूकता बढ़ाने का अभियान है? क्या बीएलए नियुक्त करने के पीछे कांग्रेस की मंशा है कि अब चुनाव की बिसात बूथ से ही बिछाई जाएगी?

Advertisements

इन सवालों के साथ एक और सच्चाई सामने खड़ी है — उत्तराखंड कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा और उसकी जमीनी हकीकत। खासकर काशीपुर की बात करें तो यहां कांग्रेस संगठन लंबे समय से आंतरिक गुटबाजी, निष्क्रियता और नाराज़गी से जूझ रहा है। वार्ड स्तर पर संगठन लगभग खत्म हो चुका है। और अब ऐसे हालात में जब पार्टी हाईकमान ने बीएलए नियुक्त करने का आदेश दिया है, तो सवाल यह उठता है — क्या काशीपुर महानगर अध्यक्ष मुशर्रफ हुसैन इस जिम्मेदारी को निभा पाएंगे?

क्या काशीपुर में कांग्रेस हाईकमान की योजना पर अमल हो पाएगा, या फिर यह निर्देश भी बाकी घोषणाओं की तरह फाइलों में ही दब कर रह जाएगा? क्या जिस शहर में पार्टी का बूथ स्तर का ढांचा ही नहीं बचा, वहां बूथ लेवल एजेंट मिल पाएंगे?

इस फैसले के बाद एक नई बहस शुरू हो चुकी है — कांग्रेस के इस अभियान का अंत कहां होगा? क्या यह महज़ एक प्रशासनिक निर्देश है या आने वाले समय की चुनावी सर्जरी की शुरुआत?

सस्पेंस भरी इस पिटारे की चाबी अभी भी हाईकमान के पास है… और असली सवाल यह है  क्या काशीपुर कांग्रेस उस चाबी से ताले खोल पाएगी… या फिर वो ताला पार्टी की अंदरूनी कमजोरी का प्रतीक बनकर रह जाएगा?

 

Advertisements
THE GREAT NEWS

THE GREAT NEWS

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *