पत्रकारों के शोषण को नहीं किया जाएगा अब बर्दाश्त पर्वतीय पत्रकार महासंघ का हुआ आगाज़
अज़हर मलिक
Uttrakhand news : उत्तराखंड में पत्रकारों के शोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं, उसी की रोकथाम के लिए पत्रकारों ने एक नई यूनियन का आगाज़ किया। इस नव गठित पंजीकृत पर्वतीय पत्रकार महासंघ की आज एक महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न हुई। इस दौरान नैनीताल जिला ईकाई का गठन किया गया। शंकर फुलारा को जिलाध्यक्ष की कमान सौंपी गई। जिला महामंत्री सलीम अहमद को बनाया गया। हल्द्वानी महानगर अध्यक्ष संतोष बहुगुणा तथा महामंत्री लक्ष्मण मेहरा के नाम पर सहमति बनी। इसके अलावा उधम सिंह नगर जिला अध्यक्ष के लिए अश्विनी सक्सेना का नाम मनोनीत किया गया।
बैठक के दौरान प्रदेश अध्यक्ष सुरेश पाठक ने यूनियन के भावी योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि पर्वतीय पत्रकार महासंघ से पंजीकृत कर लिया गया है। अब आगे पूरे प्रदेश में जिला एवं नगर ईकाईयों का गठन किया जाएगा। मजदूर दिवस के अवसर पर यहां कुसुमखेड़ा स्थित एक रेस्टोरेंट में बोलते हुए उन्होंने कहा कि पर्वतीय पत्रकार महासंघ, पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के सभी पत्रकारों के हित के लिए संघर्षरत है और हमेशा उनके साथ खड़ा रहेेगा। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डा दिनेश जोशी, साहित्य कार डा जे सी पंत, पत्रकार डा जे एस पुरी , अनिल अग्रवाल खुलासा आदि ने भी अपने विचार रखे नव गठित पंजीकृत संगठन को शुभकामनाएं एवं बधाई दी कार्यक्रम का संचालन डा मदन मोहन पाठक ने किया।इस अवसर पर पत्रकार गुरमीत सिंह, शंकर फुलारा,उधम सिंह राठौड़, श्रीमती भावना पाठक, सलीम अहमद, रोशनी पांडे, विनोद कुमार, कुमारी तनुजा, पूर्णिमा, सुब्रत विश्वास समेत कई पत्रकार उपस्थित रहे।
आखिर क्यों होते हैं पत्रकारों के शोषण यह भी जानें
पत्रकारों को समाज का आईना भी कहा जाता है, जो जनहित मुद्दों पर चर्चा और समाज की बुराई को खत्म करने के लिए अहम योगदान भी रखते हैं। एक अकेला पत्रकार ही सारे सिस्टम से लड़ने की हिम्मत रखता है, राजनेताओं से लेकर सरकारी अमले तक की गलत नीति और गलत कार्यशैली को उजागर करता है। लेकिन अब पत्रकारिता समाज से खत्म होती हुई दिखाई दे रही क्योंकि पत्रकारिता में बड़े उद्योगपति और गैर कानूनी कार्य में लिप्त लोगों ने एंड्रिया लेनी शुरू कर दी है, जो पत्रकारों के संगठन के नाम पर पत्रकारों का शोषण करते हैं फील्ड में काम कर रहे हैं पत्रकारों की रंजिशे साजिशें रचकर उन पर फर्जी एफआर दर्ज करा कर उनको फील्ड से खत्म करने का काम भी कर रहे हैं ताकि उन संगठनों के संचालकों के कंट्रोल में सब कुछ रहे। जो पत्रकार इनके कंट्रोल में नहीं रहता उन पत्रकारों के खिलाफ अपने गैरकानूनी कारोबार में लिप्त लोगों के साथ मिलकर जिम्मेदार ईमानदार अधिकारियों को झूठी कहानियां रचाकर उनको फर्जी कैसो में फसाने की कोशिश करते हैं।