पूर्व कैबिनेट मंत्री ने खोली सिस्टम की परतें क्या अब खुलेगा ‘वीआईपी कातिल’ का नाम?

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उत्तराखंड के सबसे चर्चित हत्याकांड में फिर उठा वीआईपी कनेक्शन का जिन्न!

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने खोली सिस्टम की परतें क्या अब खुलेगा ‘वीआईपी कातिल’ का नाम?

अज़हर मलिक 

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उत्तराखंड में अंकिता भंडारी हत्याकांड की आग एक बार फिर भड़क उठी है। इस बार सवाल उठाए हैं खुद उत्तराखंड के पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने — और निशाने पर हैं ‘वीआईपी रसूखदार’, जिन्हें अब तक कानून का डर छू भी नहीं सका।

 

पूर्व मंत्री का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने साफ आरोप लगाया है कि एसआईटी जांच सिर्फ दिखावा थी — क्योंकि उस ‘बड़े आदमी’ को बचाया गया जिसके लिए अंकिता को मौत के घाट उतारा गया। उन्होंने कहा कि हत्याकांड के असली मास्टरमाइंड को आज भी बचाया जा रहा है, और सिस्टम ने इस वीआईपी को क्लीन चिट देने के लिए सबूतों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया।

 

नैथानी ने बीजेपी विधायक रेनू बिष्ट की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि यमकेश्वर विधायक की भूमिका इस केस की शुरुआत से ही संदिग्ध रही, लेकिन हैरानी की बात ये है कि उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।

 

सबसे चौंकाने वाली बात — पूर्व मंत्री ने यह भी कहा कि अंकिता की कॉल डिटेल्स तो निकाली गईं, लेकिन पुलकित आर्य और उसके साथी जो मुख्य आरोपी हैं, उनकी कॉल डिटेल्स को जानबूझकर नजरअंदाज़ किया गया। आखिर क्यों? क्या इन कॉल्स से कोई वीआईपी बेनकाब हो सकता था?

 

अब सवाल सिर्फ ये नहीं है कि अंकिता को क्यों मारा गया… सवाल ये है कि उसे किसके लिए मारा गया… और उस ‘किसी’ को अब तक बचाया क्यों जा रहा है?

 

पूर्व मंत्री का ये बयान अब इस बहुचर्चित हत्याकांड में एक बार फिर भूचाल ला सकता है। क्या इस बार वीआईपी चेहरा सामने आएगा या फिर सिस्टम एक बार फिर सत्ता के आगे घुटने टेक देगा?

 

 

 

 

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