जल्द होगी पहाड़ों पर हेली एम्बुलेंस की सुविधा
हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सर्विस के लिए सिक्स सिग्मा ने नार्वे की हेलीट्रांस कंपनी के साथ समझौता पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। अब कंपनी हेलीकॉप्टर एंबुलेंस के साथ, एडवेंचर्स स्पोटर्स, रेस्क्यू, रोड एक्सीडेंट बचाव, आपदा प्रबंधन, हेलिकॉप्टर फ्लाइट स्कूल के साथ-साथ धार्मिक पर्यटन को भी देगी बढ़ावा। सिक्स सिग्मा बोर्ड मीटिंग के दौरान डॉ. प्रदीप भारद्वाज, सीईओ सिक्स सिग्मा ने बताया कि हेलीकॉप्टर एंबुलेंस के अभाव में मैंने पहाड़ों पर बहुत लोगों को दम तोड़ते देखा है। आज हमारा पहाड़ों पर हेली एंबुलेंस का एक बड़ा सपना पूरा हो रहा है। सिक्स सिग्मा नार्वे से एयर एंबुलेंस हेलीकाप्टर ले रहा है।
सेनाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले सिक्स सिग्मा के युवाओं ने सत्य, सेवा, साहस, समर्पण और पराक्रम से देश के विकास में चार-चांद लगा दिए हैं। मंगलवार को सिक्स सिग्मा ने बोर्ड मीटिंग के साथ यूरोप में नॉर्वे के साथ ज्वाइंट वेंचर पर दिल्ली में अनुबंध किया। नार्वे से आए दल ने सात दिन की भारत यात्रा पर इस ऐतिहासिक पल को अब एक कंपनी का रूप दे दिया है। सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर इसका संचालन करेगा।
दरअसल, पर्वतीय इलाकों में मेडिकल सर्विस देने के लिए प्रसिद्ध सिक्स सिग्मा हाई एल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस ने यात्रियों को त्वरित उपचार प्रदान करने के लिए एक हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवा और धार्मिक पर्यटन को विकसित करने की योजना बनाई है। खासकर पहाड़ पर आपातकालीन व हाईवे दुर्घटनाओं में घायल लोगों को ऐसी जगहों पर गोल्डन ऑवर में अस्पताल तक पहुंचाया जा सके, जहां एंबुलेंस को पहुंचने में समय लगता है।
सिक्स सिग्मा हाई एल्टिट्यूड मेडिकल सर्विस के प्रबंध निदेशक डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने संयुक्त उपक्रम के जानकारी देते हुए कहा, हेली ट्रांस नॉर्वे के सीईओ ओले क्रिश्चन मैथ्यू के साथ सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर ने एक समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए। हम चेन ऑफ हेली एंबुलेंस सेवाओं की भारत में स्थापना करेंगे और भारत में पहला हेलिकॉप्टर ट्रेनिंग स्कूल भी खोलेंगे। नार्वे स्थित हेलीट्रांस उस देश के साथ-साथ यूरोप की सबसे बड़ी हेलिकॉप्टर कंपनी है, जो पूरे यूरोप में पर्यटन के साथ साथ आपातकालीन सेवा के दौरान अपनी सेवायें प्रदान कराती है।
देश की कई हेलीकॉप्टर कंपनियां जो केवल धार्मिक यात्रा के दौरान अपनी सर्विस प्रदान कराती है, लेकिन वे कंपनियां पर्वतीय क्षेत्रों में होने वाले रेस्क्यू ऑपरेशन में भाग नहीं लेती हैं। जिसके कारण प्रशासन को आपातकालीन सेवाओें और रेस्क्यू ऑपरेशन के लिये इंडियन आर्मी, भारतीय वायु सेना पर निर्भर रहना पड़ता है। बात अगर गोल्डन ऑवर की करें, तो ट्रॉमा इंजरी के बाद के एक घंटे को गोल्डन ऑवर कहा जाता है, जिस दौरान सही मेडिकल ट्रीटमेंट मिलने से घायल को बचाया जा सकता है।