सुल्तानपुर पट्टी में वन विभाग से भिड़े खनन माफिया, डंपर छुड़ाने के लिए स्कॉर्पियो-थार लेकर किया हमला, टायर में गोलियां दागनी पड़ीं
अज़हर मलिक
सुल्तानपुर पट्टी शनिवार की दोपहर रणभूमि बन गई जब खनन माफिया और वन विभाग आमने-सामने आ गए। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी के निर्देशन में उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी और वन सुरक्षा बल की टीम इलाके में गश्त पर थी। दोपहर करीब 1 बजे टीम ने अवैध रूप से आरबीएम ले जा रहे दो डंपर — UK18CA-6449 और UK08CA-6345 — को सुल्तानपुर पट्टी में बिना प्रपत्र और रॉयल्टी के पकड़ा।
जैसे ही टीम ने डंपरों को जब्त कर बन्नाखेड़ा ले जाने की कार्रवाई शुरू की, रतनपुरा गांव में माफिया सक्रिय हो उठे। वाहन स्वामी और उनके फील्डर स्कॉर्पियो, थार और बाइकों में सवार होकर डंपर के आगे आ डटे और रास्ता रोक लिया। बात यहीं नहीं थमी — वन विभाग के स्टाफ से झड़प करते हुए माफिया ने डंपर छुड़ाने की कोशिश शुरू कर दी।
हालात बिगड़ते देख टीम ने तत्काल 112 पर कॉल कर पुलिस सहायता मांगी, लेकिन दुस्साहसी हमलावर नहीं रुके। डंपर को भगाने की कोशिश लगातार जारी रही। स्थिति जब हाथ से निकलती दिखी, तो वन कर्मियों ने साहसिक फैसला लेते हुए डंपर के टायरों में दो गोलियां दाग दीं, जिससे वाहन वहीं थम गया।
इसके बाद UK18CA-6449 को बन्नाखेड़ा रेंज परिसर में सुरक्षित खड़ा कर दिया गया, जबकि दूसरा डंपर UK08CA-6345 को सुल्तानपुर पट्टी पुलिस चौकी की सुपुर्दगी में दे दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम में उप प्रभागीय वनाधिकारी, वन क्षेत्राधिकारी, वन दरोगा चंदन सिंह बिष्ट, वन आरक्षी अजय कुमार और मनमोहन सिंह समेत चालक मुराद अली और सुंदर बिष्ट की टीम मौके पर डटी रही और जान जोखिम में डालकर डंपरों को वन अभिरक्षा में लिया।
अब बड़ा सवाल ये है — आखिर कौन हैं ये रसूखदार माफिया जो न सिर्फ अवैध खनन में लिप्त हैं, बल्कि सरकारी टीम पर हमलावर भी हो रहे हैं? क्या इनपर सख्त कार्रवाई होगी, या फिर ये भी सिस्टम की ढाल में बच निकलेंगे?