एन एस एस शिविरार्थियों ने दूसरे दिन देखी फ्रेंच फिल्म रेड बलून

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एन एस एस शिविरार्थियों ने दूसरे दिन देखी फ्रेंच फिल्म रेड बलून

मोहम्मद कैफ खान

रामनगर। पी एन जी पी जी महाविद्यालय की बालिका शिविरार्थियों ने दूसरे दिन भी देश दुनिया की बेहतरीन फिल्में देखीं। अटल उत्कृष्ट राजकीय बालिका इंटर कालेज में चल रहे शिविर की बालिकाओं के लिए रचनात्मक शिक्षक मंडल की पहल पर चार दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम के दूसरे दिन की शुरुआत चंदा के जूते फिल्म से हुई।यह फिल्म एकतारा की पहली फिक्शन फिल्म है। एक छोटी लड़की चंदा, जो अपनी बस्ती की निर्विवाद चैंपियन है। और उसकी सहेली शमीन एक बड़े स्कूल में दाखिला लेने के बाद चिंताओं से भरे बैग के बोझ तले दबी हुई हैं। जो अपने साथ नई किताबें, यूनिफॉर्म और भी बहुत कुछ नया विशेष रूप से जूते खरीदते है। पर चंदा को जूतों से नफरत है।जूते के बहाने फिल्म वर्तमान शिक्षा व्यवस्थ की विसंगतियों को सामने लाती है।

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बच्चों ने दूसरी फिल्म कंचे और पो स्टकार्ड देखी।बाल मनोविज्ञान को यह फिल्म बहुत ही बेहतरीन तरीके से रखती है।

 

 

 

इस फिल्म में एक युवा बच्चे विपिन को अपने दोस्तों के साथ कंचे का खेल खेलने के अधिकार से वंचित कर दिया जाता है। निराशा की निरंतर भावना के बीच विपिन, जीवन का एक नया अर्थ खोजता है। तीसरी फिल्म रेड बलून देखी।द रेड बैलून एक 1956 की फ्रेंच फंतासी कॉमेडी-ड्रामा फीचर है। जिसे अल्बर्ट लैमोरिस द्वारा लिखित, निर्मित और निर्देशित किया गया है। चौंतीस मिनट की इस फिल्म में एक लाल गुब्बारा एक बच्चे के कारनामों का अनुसरण करता है। इस फिल्म को पेरिस के मेनिलमॉन्टेंट पड़ोस में फिल्माया गया था।कार्यक्रम संयोजक नवेंदु मठपाल ने इस मौके पर देश दुनिया में बच्चों की फिल्मों बातचीत भी रखी।इस अवसर चीफ प्रॉक्टर प्रो गिरीश पंत,वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी जे. एस. नेगी,कार्यक्रम अधिकारी छात्रा इकाई डॉ. शिप्रा पंत डॉ. ममता भदोला जोशीग्रुप लीडर

चंद्रा, दीपा मेहरा, पूजा बेलवाल, ज्योति कांडपाल, आशा, ज्योति रावत, कविता, अंजू प्रकाश चंद्र मौजूद रहे।

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