निकाय चुनाव में फंसा पेंच: ओबीसी आरक्षण का अध्यादेश बना रोड़ा
अज़हर मलिक
उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर स्थिति उलझी हुई है। राज्य के 102 नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण से जुड़े अध्यादेश ने पूरे चुनावी प्रक्रिया को पेच में फंसा दिया है। यह अध्यादेश फिलहाल राजभवन में लंबित है, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है।
राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण में बदलाव को लेकर एक नया अध्यादेश तैयार किया था, जिसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है। यदि इस अध्यादेश को जल्द हरी झंडी नहीं मिलती, तो चुनाव प्रक्रिया में और देरी हो सकती है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट के पिछले आदेश भी सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में देखे जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण को लेकर कई व्यवस्थाएं दी हैं। इनमें ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले के आधार पर ओबीसी आरक्षण तय करने की प्रक्रिया शामिल है। यदि अध्यादेश अटकता है, तो राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चुनाव कराने का निर्णय ले सकती है।
राजभवन में अध्यादेश की स्वीकृति में हो रही देरी ने सरकार को राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों मोर्चों पर चुनौतीपूर्ण स्थिति में डाल दिया है। ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव कराने पर विपक्ष के विरोध का सामना करना पड़ सकता है, वहीं आरक्षण तय करने में देरी से प्रशासनिक प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है।
यदि अध्यादेश को जल्द मंजूरी नहीं मिलती, तो सरकार को सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के तहत चुनाव कराना पड़ सकता है। हालांकि, इस पर भी राजनीतिक विवाद की संभावना बनी रहेगी।
अब देखना यह होगा कि सरकार इस पेच को किस तरह सुलझाती है और निकाय चुनाव की प्रक्रिया कब तक पूरी हो पाती है।