कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में लकड़ी माफियाओं का आतंक रखवालो की रखवाली में ही काटे जा रहे हैं पेड़
अज़हर मलिक
रामनगर : जरा सोचिए जिन जंगलों में बिना परमिशन के कदम रखना सख्त मना हो और उन जंगलों की हिफाजत के लिए सरकार लाखों का बजट खर्च करती हो जिसकी वजह से उत्तराखंड विश्व प्रसिद्ध हो, उन जंगलों में अधिकारियों की साठगांठ से लकड़ी माफिया द्वारा पेड़ों का कटान किया जा रहा हो और कार्रवाई के नाम पर मात्र खाना पूर्ति की गई हो हम बात कर रहे हैं।
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान भारत का सबसे पुराना राष्ट्रीय पार्क है। यहां विश्व के कौन-कौन से लोग घूमने आते हैं। और पार्क के अंदर बिना परमिशन की आवाजाहि करना मना है।और चप्पे चप्पे पर यहां वन विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों की नजर रहती है और जंगली जानवर और पेड़ों की हिफाजत के लिए यहां क्षेत्रीय रेंजर कोई जिम्मेदारी दी जाती है और इस निर्देशों पर बना कर्मचारी अपना कार्य करते हैं। लेकिन इन जंगलों में इन दिनों लकड़ी माफियाओं का बोलबाला देखने को मिल रहा है।
जिन जंगलों में बिना परमिशन के कदम रखना भी माना है। उन्हीं जंगलों में लकड़ी माफियाओं द्वारा अपने उपकरण और वाहनों के साथ चोरी छुपे घुस जाता है और पेड़ों का कटान किया जाता है। जिसकी भनक क्षेत्रीय रेंजर को कानों कान नहीं लगती। या फिर यूं कहें कि देख कर भी नजरअंदाज किया जाता है। क्योंकि माफियाओं द्वारा ना तो एक दिन में चोरी छुपे जंगलों में घुसकर पेड़ों को कांटे गया और ना ही एक दो पेड़ों को बल्कि लगभग तीन दर्जन से अधिक पेड़ों को काट चुके हैं। और कार्रवाई के नाम पर मात्र खाना पूर्ति की गई है इतने पेड़ों को काटने वाले सिर्फ दो तस्करों को कॉर्बेट प्रशासन ने पकड़ा है।
रेंजर ऑफिस से 1 से 2 किलोमीटर दूरी पर माफियाओं पेड़ों का कटाव किया जा रहा था। और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ दो वन कर्मचारियों को निलंबित किया गया है। और जांच के नाम पर आप सिर्फ आश्वासन देकर मामले को गोलमोल किया जा रहा है। क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों काटना कहीं ना कहीं रेंजर की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर रहा हैं।
बरहाल जंगलों के रखवालो की रखवाली में ही जंगल उजाड़ो अभियान लकड़ी माफियाओं द्वारा चलाए जा रहा है और कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जिम्मेदार अधिकारी खाना पूर्ति करने में लगे है। कॉर्बेट प्रशास ने दो माफिया और दो कर्मचारियों पर तो कार्रवाई की है।
अब यह देखने वाली बात होगी कि आखिर क्या किसी जिम्मेदार अधिकारी पर भी करवाई होती है। या फिर कर्मचारियों पर भी कार्रवाई के बाद मामले गोलमोल कर दिया जाएगा अज़हर मलिक रामनगर