दरोगा भर्ती मामले में पंतनगर विश्वविद्यालय के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

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दरोगा भर्ती मामले में पंतनगर विश्वविद्यालय के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध

देहरादून दारोगा भर्ती मामले में गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर के कुछ अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि विश्वविद्यालय के परीक्षा सेल ने 2015 से पहले व बाद की विभिन्न भर्ती परीक्षाओं की ओएमआर शीट तो संभालकर रखी, लेकिन वर्ष 2015 में हुई दारोगा भर्ती की ओएमआर शीट उपलब्ध नहीं होना बताया।विजिलेंस ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है।

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हालांकि विजिलेंस अधिकारियों का कहना है कि अभी जांच में ओएमआर नष्ट करने की बात सामने नहीं आई है। वर्ष 2015 में दारोगाओं की सीधी भर्ती की जांच कर रही विजिलेंस ने जीबी पंत विश्वविद्यालय से ओएमआर शीट मांगी थीं। विश्वविद्यालय की ओर से बताया गया कि उनके पास 2015 की परीक्षा की ओएमआर शीट उपलब्ध नहीं हैं।वह नियमानुसार परीक्षा के एक साल बाद ओएमआर शीट को नष्ट कर देते हैं। इसके बाद विजिलेंस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो पता चला कि वर्ष 2015 से पूर्व में हुई परीक्षाओं की ओएमआर शीट विश्वविद्यालय के पास उपलब्ध हैं। विजिलेंस की ओर से जब विश्वविद्यालय से उन नियमों की कापी मंगवाई गई, जिन नियमों के तहत यह ओएमआर शीट नष्ट की गई तो विश्वविद्यालय की ओर से कापी भेजी गई। विजिलेंस के अनुसार, इस कापी में केवल विश्वविद्यालय की ओर से बनाई गई कमेटी के चार अधिकारियों के हस्ताक्षर हैं। जबकि उस समय पुलिस उपमहानिरीक्षक रहे पुष्कर सिंह सैलाल के हस्ताक्षर ही नहीं हैं।विश्वविद्यालय की ओर से विजिलेंस को ओएमआर शीट की प्रतिलिपियां मिल गई हैं। हालांकि विजिलेंस के अधिकारियों का यह भी कहना है कि उनके पास काफी साक्ष्य हैं, जिनके आधार पर कुछ दारोगाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जा रहा है। यदि ओएमआर शीट नष्ट की होंगी तो पंतनगर विश्वविद्यालय के कुछ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। फर्जीवाड़ा कर दारोगा बनने वालों पर कार्रवाई होनी तय है। इस मामले में विजिलेंस की ओर से पूर्व में काफी जानकारी जुटाई जा चुकी है। इसके अलावा इंटेलीजेंस से भी काफी जानकारी साझा की गई है। एसटीएफ की ओर से गिरफ्तार किए गए पंतनगर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त अधिकारी से पूछताछ की जानी है, इसके अलावा भर्ती में हुई गड़बड़ियों संबंधी विजिलेंस काफी कड़ियां जोड़ चुकी है।दारोगा भर्ती मामले में विजिलेंस की ओर से कुछ दारोगाओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की अनुमति शासन से मांगी गई थी। बीते शुक्रवार को शासन में बैठक थी, जिसमें मुकदमा दर्ज करने की मौखिक अनुमति दी गई थी। चार दिन बीत जाने के बावजूद भी विजिलेंस को आदेश की कापी नहीं मिल पाई है, जिसके कारण विजिलेंस की कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई है। विजिलेंस की ओर से मुकदमा दर्ज करने के बाद ही आगे की कार्रवाई शुरू की जानी है।

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