उत्तराखंड सरकार की तरफ से इस साल से लोक भाषाओं व साहित्य के क्षेत्र में उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान दिया जाएगा, जिसमें देवभूमि की कुमाऊनी, गढ़वाली, जौनसारी भाषाओं के साथ ही हिन्दी, पंजाबी, उर्दू में उत्कृष्ट साहित्य सेवा के लिए हर वर्ष यह सम्मान दिया जाएगा। यह घोषणा बुधवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान की बैठक में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की।
यह बैठक वर्ष 2014 की बाद पहली बार संस्थान की प्रबंध कार्यकारिणी सभा में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई। धामी ने कहा कि लोक साहित्य व लोक भाषाओं में कुमाऊनी, गढ़वाली, राज्य की बोलियां व उपबोलिया, हिन्दी, पंजाबी, उर्दू में महाकाव्य, काव्य रचना और साहित्य व अन्य गद्द विधाओं के लिए साहित्य गौरव सम्मान दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी ने डिजिटल व ई-पुस्तकालय की स्थापना हर जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में करने के निर्देश भी दिए।
ऐसे रचनाकार जो धन की कमी के कारण अपने पुस्तकों का प्रकाशन नहीं करा पा रहे उनको भी भाषा संस्थान की ओर से आर्थिक सहयोग की बात मुख्यमंत्री ने कही।
प्रदेश में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्री भाषा सम्मेलन भी आयोजित किए जायेगे। साहित्य व शोध पत्रिकाओं के प्रकाशन पर भी उत्तराखंड भाषा संस्थान की तरफ से सहमति दी गई।