साइबर अपराधों पर वार उत्तराखंड पुलिस की नई रणनीति का ऐलान
अज़हर मलिक
देहरादून : क्या उत्तराखंड साइबर अपराधों पर पूरी तरह लगाम लगाने के लिए तैयार है? पुलिस मुख्यालय में आज आयोजित एक अहम बैठक में इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश हुई। प्रदेश में बढ़ते साइबर अपराधों से निपटने और पुलिस बल को तकनीकी रूप से मजबूत बनाने के लिए कई बड़े फैसले लिए गए।
इस बैठक में साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, देहरादून के कामकाज और जनशक्ति की समीक्षा की गई। इसके बाद कई नए दिशा-निर्देश जारी किए गए। पुलिस बल को निर्देशित किया गया कि साइबर अपराधों की शिकायतों का पंजीकरण बढ़ाया जाए और उनकी जांच व समाधान की दर में सुधार किया जाए।
बैठक में यह तय किया गया कि राज्य स्तर पर एक सेंट्रल साइबर क्राइम हेडक्वार्टर और सेंटर ऑफ एक्सलेंस स्थापित किया जाएगा। साथ ही, प्रत्येक जिले में एक साइबर थाना खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। कुमाऊं और गढ़वाल में पहले से मौजूद साइबर थानों में जनशक्ति बढ़ाने का फैसला भी लिया गया।
चंडीगढ़ पुलिस के 1930 साइबर हेल्पलाइन मॉडल का अध्ययन करने के लिए एक टीम को चंडीगढ़ भेजने का निर्णय लिया गया, ताकि उससे सीखकर उत्तराखंड पुलिस अपनी साइबर क्राइम रणनीति को और मजबूत बना सके।
साइबर अपराधों से निपटने के लिए जनजागरूकता पर खास जोर दिया गया। आम जनता को साइबर अपराधों और उनसे बचने के तरीकों के बारे में जागरूक करने के निर्देश दिए गए। इसके अलावा, अधिक पुलिसकर्मियों को साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में प्रशिक्षित करने और प्रशिक्षित कर्मियों की हर जिले में तैनाती सुनिश्चित करने पर बल दिया गया।
इस गोष्ठी में अपराध और कानून व्यवस्था, अभिसूचना, एसटीएफ, सीसीटीएनएस और अन्य विभागों के अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का उद्देश्य स्पष्ट था – उत्तराखंड को साइबर अपराधों के खिलाफ एक मजबूत और आधुनिक पुलिस बल देना।