अज़हर मलिक
वन्यजीव सप्ताह : भारत में महात्मा गांधी की जयंती के अवसर प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक वन्यजीव सप्ताह मनाया जाता है। केंद्र व राज्य सरकारों, पर्यावरणविदों, कार्यकर्ताओं, शिक्षकों आदि द्वारा लोगों में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेज़ीलाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है।
भारत में विभिन्न प्रजातियों का विशाल भण्डार है, इसलिए भी भारत में कई सम्मेलनों, जागरूकता कार्यक्रमों और प्रकृति प्रेमियों के बीच सार्वजनिक बैठकों का आयोजन किया जाता है। स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में बच्चों के लिए वन्यजीवों से संबंधित निबन्ध लेखन, चित्रकला, संभाषण, फ़िल्म स्क्रीनिंग आदि प्रयोगिताओं का आयोजन किया जाता है।
उसी क्रम में तराई पश्चिमी डिवीजन के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देशों पर वन विभाग की टीम वन्यजीव सप्ताह के रूप ने माना रही है अलग अलग कार्यक्रमों की की गतिविधियां वन टीम द्वारा देखी जा रही है आज वन विभाग टीम को पांचवें दिन वन्यजीव सप्ताह बनाने हो गया है। फॉरेस्ट रेस्ट हाऊस रामनगर परिसर में फांटो इको टूरिज्म जोन हेतु लोगो डिजाइन प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमे कक्षा 10 एवं अन्य उच्च कक्षा के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया गया। साथी विद्यार्थियों को वन्यजीवों के बारे में जानकारी दी हमारे जीवन में किस तरह वन्यजीवों की आवश्यकता है साथ ही वन्य जीव सप्ताह क्यों बनाया जाता है उसे पर भी प्रकाश डाला गया।

डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देशों पर दश्चिनी जसपुर रेंजर ललित आर्य नेवी छात्राओं के साथ वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह बनाया
आपको बता दे तराई पश्चिमी डिवीजन के डीएफओ प्रकाश चंद्र आर्य के निर्देशों के बाद दक्षिणी जयपुर रेंज के रेंजर ललित आर्य की देखरेख व कर्मचारियों द्वारा भी वन्यजीव सप्ताह बनाया गया। जहां राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पतरामपुर एव इंदिरा गांधी राजकीय इंटर कॉलेज बड़ियोवाला जसपुर में वन एवं वन्य प्राणी सुरक्षा सप्ताह मनाया गया। विद्यालय के शिक्षकों एवं छात्र छात्राओं को वन एवं वन्य प्राणी की सुरक्षा के बारे में जानकारी दी गई।कार्यक्रम मे स्थानीय गणमान्य एवम सम्मानित व्यक्तियों के साथ शिक्षक व सभी वन कर्मचारी भी उपस्थित रहे।

वन्यजीव सप्ताह का उद्देश्य
भारत में वन्यजीव सप्ताह मनाये जाने के निम्न प्रमुख उद्देश्य हैं-
प्रत्येक समुदायों व परिवारों को प्रकृति से जोड़ना।
मानव के अंदर संरक्षण की भावना पैदा करना।
वन्यजीव व पर्यावरण की सुरक्षा
के लिए जागरूक रहना।
