धारचूला को लेकर चिंतित सरकार बैठकों का दौर जारी
देवों की नगरी कहे जाने वाले उत्तराखंड की सीमा क्षेत्र धारचूला एक बार फिर अपनी उत्पीड़न के आंसू बहाने के लिए मजबूर है धारचूला के वर्तमान हालातों की स्थिति से तो पूरा देश वाकिफ है जिस पर केंद्रीय सरकार से लेकर भारत की राज्य सरकारों ने भी चिंता जताई है पक्ष हो या विपक्ष जोशीमठ को फिर से सवरने की मांग कर रहा है उत्तराखंड सरकार भी धारचूला को और धारचूला के स्थानीय निवासियों को चिंतित है। जिनको लेकर जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों को कड़े निर्देश भी दे दिए गए हैं साथ ही निर्माण कार्यो पर नजर बनाने के लिए टीमों का गठन भी किया गया और इसके साथ बैठकों का दौर भी प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधियों, स्थानीय लोग, धामी सरकार के बीच लगातार जारी है धामी सरकार धारचूला को गंभीरता से लेते हुए।
धारचूला के एलधारा घट खोला क्षेत्र के निर्माण कार्य को लेकर प्रदेश सरकार के सचिव अरविंद ह्यानकी ने विभागीय अधिकारियों के साथ फिर से बैठक की गई बैठक में भिन्न बिंदुओं पर चर्चा हुई काली नदी के किनारे तटबंध कार्य को सही गुणवत्ता के साथ काम करने की बात कही। साथ ही जिम्मेदार विभागीय अधिकारियों से वहां पर लगने वाली निर्माण सामग्री की जानकारी भी ली l स्थानीय लोगों ने जल स्रोत के सुरक्षा की मांग की
अरविंद ह्यानकी ने बताया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के अनुसार ही काम अपने समय पर पूरा होगा गांधी चौक पर बस स्टैंड की मांग को गंभीरता से लेते हुए जल्द उसका भी निवारण बात रखी जाएगी। जो भी निर्माण कार्य है। उसे अच्छी गुणवत्ता के साथ जल्द से जल्द पूरा करने के प्रयास रहेंगे जिलाधिकारी साथ मिलकर सचिव अरविंद हह्यानकी ने ग्राउंड पर जाकर काली नदी के तटबंध पर चल रहे निर्माण कार्य का भी मुआयना किया।
सीमा क्षेत्र धारचूला नेपाल और भारत की सीमा को आपस में जोड़ता है।
यह जगह कैलाश मानसरोवर के नजदीक होने की वजह से पूरे देश में जानी जाती है। हमें भी अपना अधिकार समझने चाहिए प्रशासन का सहयोग करना चाहिए प्राकृतिक आपदाओं से निपटने की सही जानकारी होनी चाहिए