पति के विकास कार्यों के सहारे चुनावी मैदान में उतरीं ज़ीनत

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पति के विकास कार्यों के सहारे चुनावी मैदान में उतरीं ज़ीनत

अज़हर मलिक 

उत्तराखंड में पार्षद और सभासद चुनावों की सरगर्मी तेज हो गई है। इसी बीच निवर्तमान पार्षद महबूब आलम की पत्नी ज़ीनत ने भी नामांकन पत्र दाखिल कर चुनावी अभियान में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। महबूब आलम, जो अब तक क्षेत्र की जनता के बीच अपनी मजबूत पकड़ और विकास कार्यों के लिए जाने जाते रहे हैं, इस बार किसी कारणवश चुनाव नहीं लड़ रहे। ऐसे में ज़ीनत ने उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है।

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ज़ीनत का कहना है कि वह अपने पति द्वारा किए गए विकास कार्यों को आगे बढ़ाते हुए क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करेंगी। उनका वादा है कि वह जनता के साथ पहले से भी अधिक मजबूती से खड़ी होंगी। महबूब आलम, जिन्हें जनता हमेशा एक सक्रिय और कर्मठ नेता के रूप में देखती थी, उनके कार्यकाल में क्षेत्र की समस्याओं का त्वरित समाधान होता था। जनता दरबार के जरिए वे लोगों की समस्याओं को सुनते और हल करते थे।

 

ज़ीनत का दावा है कि वह अपने पति की इस परंपरा को न केवल जारी रखेंगी, बल्कि इसमें नया अध्याय भी जोड़ेंगी। उन्होंने कहा, “वार्ड की जनता मेरा परिवार है, और मैं इस परिवार की हर समस्या को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगी।”

 

ज़ीनत के इस चुनावी ऐलान ने विरोधियों की चिंता बढ़ा दी है। महबूब आलम की लोकप्रियता और जनता के बीच उनकी पकड़ का फायदा ज़ीनत को मिलने की पूरी उम्मीद है। उनके विरोधियों के लिए यह चुनौतीपूर्ण स्थिति बन गई है। ज़ीनत का आत्मविश्वास और जनता के प्रति उनकी निष्ठा इस बार के चुनावी परिणामों को एक नया मोड़ दे सकती है।

 

 

ज़ीनत का चुनावी अभियान न केवल महबूब आलम की छवि पर आधारित है, बल्कि उनके खुद के इरादों और वादों की नींव पर खड़ा है। अब देखना यह है कि जनता उन्हें कितना समर्थन देती है और क्या वे अपने वादों को हकीकत में बदल पाती हैं।

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