मॉक ड्रिल के माध्यम से आपदा से बचाव की प्रभावी तैयारी रामनगर 

Advertisements

मॉक ड्रिल के माध्यम से आपदा से बचाव की प्रभावी तैयारी रामनगर 

                         सलीम अहमद साहिल 

 

Advertisements

 

 

रामनगर- उत्तराखंड में मानसून 2025: मॉक ड्रिल के माध्यम से आपदा से बचाव की प्रभावी तैयारी30 जून 2025 को उत्तराखंड के रामनगर क्षेत्र में मानसून अवधि 2025 के दृष्टिगत बाढ़ के खतरों को कम करने और जनमानस व संपत्तियों की सुरक्षा के लिए एक व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। यह अभ्यास आपदा प्रबंधन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आपदा प्रभावित क्षेत्रों जैसे पम्पापुरी और चुकम गांव में राहत व बचाव कार्यों की तैयारियों को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हुआ।इस मॉक ड्रिल में इंसिडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम (आईआरएस) के तहत गठित विभिन्न विभागों जैसे पुलिस, वन विभाग, अग्निशमन, होमगार्ड, पीआरडी, चिकित्सा टीम, पीडब्ल्यूडी, जल संस्थान, विद्युत विभाग, सिंचाई विभाग, नगर निगम, परिवहन, कृषि, ग्राम विकास, उद्यान, पशु चिकित्सा, पूर्ति विभाग, एनडीआरएफ, आपदा मित्र और स्वयंसेवकों ने सक्रिय भागीदारी की। यह संयुक्त प्रयास आपदा प्रबंधन में समन्वय और त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण रहा।मॉक ड्रिल की प्रमुख गतिविधियांमॉक ड्रिल के दौरान चिन्हित स्थानों पर स्टेजिंग एरिया, इंसिडेंट कमांड सेंटर, राहत शिविर और चिकित्सा शिविर स्थापित किए गए। स्थानीय आईआरटी दलों और टास्क फोर्स का गठन कर आपदा की स्थिति में त्वरित कार्रवाई का अभ्यास किया गया। इस अभ्यास में उपजिलाधिकारी रामनगर, क्षेत्राधिकारी रामनगर, तहसीलदार, प्रभारी निरीक्षक, पुलिस बल, पीएसी, एनडीआरएफ और अन्य विभागों ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया। यह मॉक ड्रिल वास्तविक आपदा के समय विभिन्न विभागों के बीच समन्वय और संसाधनों के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने में सहायक रही।

 

 

 

मॉक ड्रिल का महत्व

 

 

1-मॉक ड्रिल ने विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को मजबूत किया, जिससे आपदा के दौरान त्वरित और प्रभावी कार्रवाई संभव हो सकेगी।

 

2-यह सुनिश्चित करता है कि राहत कार्यों में देरी न हो और संसाधनों का उपयोग सही दिशा में हो।

 

3-जागरूकता और प्रशिक्षण: इस अभ्यास ने स्थानीय समुदाय और स्वयंसेवकों को आपदा प्रबंधन के प्रति जागरूक किया।

 

4-आपदा मित्र और स्वयंसेवकों को तकनीकी और मानवीय संसाधनों के उपयोग का प्रशिक्षण मिला, जो वास्तविक आपदा में जीवन रक्षा में सहायक होगा।

 

5- तकनीकी और मानवीय संसाधनों का परीक्षण: मॉक ड्रिल ने उपलब्ध संसाधनों की कार्यक्षमता और उनकी तैनाती की प्रक्रिया का मूल्यांकन किया।

 

6-इससे कमियों को पहचानकर सुधार करने का अवसर मिला।स्थानीय स्तर पर तैयारी: पम्पापुरी और चुकम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में स्थानीय स्तर पर टास्क फोर्स और राहत शिविरों की स्थापना का अभ्यास हुआ, जो आपदा के समय त्वरित राहत प्रदान करने में मदद करेगा।

 

 

यह मॉक ड्रिल बाढ़ जैसे खतरों से निपटने की रणनीति को परखने और उसे और सुदृढ़ करने में सहायक रही। इससे न केवल मानवीय क्षति को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि संपत्तियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी।

 

रामनगर में आयोजित यह मॉक ड्रिल आपदा प्रबंधन की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है। यह न केवल विभिन्न विभागों के बीच समन्वय को बढ़ाता है, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी आपदा से निपटने के लिए तैयार करता है। इस तरह के अभ्यास उत्तराखंड जैसे भौगोलिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि आपदा की स्थिति में राहत और बचाव कार्य त्वरित, संगठित और प्रभावी ढंग से किए जा सकें, जिससे जान-माल की रक्षा हो सके।

Advertisements

Leave a Comment