ग्राम पंचायत बैलजुड़ी में सवालों के घेरे में प्रत्याशी रूही नाज़, ग्रामीण बोले – पिछली बार गलती हो गई थी, अब नहीं दोहराएंगे
अज़हर मलिक
उत्तराखंड में चल रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में इस बार ग्राम पंचायत बैलजुड़ी की तस्वीर कुछ अलग नजर आ रही है। यहां प्रधान पद की उम्मीदवार रूही नाज़ एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी हैं, लेकिन इस बार ग्रामीणों का मूड साफ़ तौर पर बदला हुआ दिखाई दे रहा है। ग्रामीण खुलकर कह रहे हैं कि “जिसे पिछली बार जिताया, उसी ने गांव की शांति और विकास दोनों को निगल लिया।”
रूही नाज़ पूर्व में भी प्रधान रह चुकी हैं, लेकिन उनके कार्यकाल को लेकर गांव में संतोष नहीं, बल्कि आक्रोश है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जब से रूही नाज़ प्रधान बनी थीं, गांव में विकास नाम की कोई चीज़ देखने को नहीं मिली। सड़कें ज्यों की त्यों टूटी पड़ी रहीं, पानी की समस्या जस की तस बनी रही और सरकारी योजनाएं कुछ खास लोगों तक ही सीमित रहीं।
चुनाव जीतने के लिए ‘कब्रिस्तान हथकंडा’ भी आजमाया था?
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पिछली बार चुनाव में जीत हासिल करने के लिए रूही नाज़ ने “कब्रिस्तान को जमीन दान” देने का प्रचार करके भावनात्मक खेल खेला था। मामला इतना बढ़ा कि आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में चुनाव आयोग को कार्रवाई करनी पड़ी थी।
अब वायरल हो रही है गाली-गलौज वाली ऑडियो
इतना ही नहीं, चुनावी माहौल के बीच सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो रही है, जिसमें कथित तौर पर रूही नाज़ के परिवार का एक सदस्य ओर कोई गाली-गलौज करता हुआ सुना जा सकता है। इस ऑडियो ने ग्रामीणों में और भी नाराजगी पैदा कर दी है। कई लोग खुलकर कह रहे हैं कि “एक प्रधान पद की उम्मीदवार के घर में ऐसा माहौल हो, तो गांव में शांति की उम्मीद कैसे की जाए?”
‘जिताया किसी को, चलाया किसी और ने’
ग्रामीणों के मुताबिक, प्रधान बनने के बाद रूही नाज़ ने न सिर्फ जन समस्याओं की अनदेखी की, बल्कि शिकायतें और चुगलियों का माहौल बढ़ा दिया। गांव में आपसी भाईचारे की जगह “बांटो और राज करो” वाली राजनीति देखने को मिली। एक बुजुर्ग ग्रामीण ने कहा – “हमने विश्वास किया था, लेकिन बदले में केवल मनमानी मिली।”
इस बार जनता दे रही है करारा जवाब
गांव में डोर-टू-डोर जनसंपर्क अभियान के दौरान ग्रामीणों की प्रतिक्रिया देखकर साफ़ जाहिर हो रहा है कि इस बार जनता आंख मूंदकर वोट नहीं देने वाली। ग्रामीणों के मुताबिक अब वे काम, शांति और विकास को प्राथमिकता देंगे, न कि भावनात्मक या पारिवारिक दबाव में आकर वोट करेंगे।
क्या सवाल खड़े होते हैं इस चुनाव में रूही नाज़ के नाम पर?
क्या प्रधान पद एक परिवार की जागीर बनकर रह गया है?
क्या पिछली बार भावनाओं से खेलकर लिया गया वोट अब सच में पछतावे में बदल चुका है?
क्या एक वायरल ऑडियो किसी प्रत्याशी की असल सोच को उजागर कर सकता है?
क्या विकास की जगह ‘विवाद’ और ‘विरोध’ को बढ़ावा देने वाले दोबारा गांव की जिम्मेदारी लायक हैं?
ग्राम पंचायत बैलजुड़ी में इस बार जनता पहले से ज्यादा जागरूक नजर आ रही है। अब गांव किसी भी भावनात्मक या सांकेतिक प्रचार के बजाय ठोस काम और स्पष्ट दृष्टिकोण वाले प्रतिनिधि की तलाश में है। यह देखना दिलचस्प होगा कि रूही नाज़ इस बार जनता के सवालों का क्या जवाब देती हैं, क्योंकि गांव अब कह रहा है – “अबकी बार कामदार, न कि नामदार।”