काशीपुर में पत्रकारिता की मर्यादा पर सवाल, माइक उठाकर बन रहे ‘संवददाता’
अज़हर मलिक
काशीपुर : कभी सच्चाई, जिम्मेदारी और निष्पक्षता का प्रतीक मानी जाने वाली पत्रकारिता आज काशीपुर में मज़ाक बनती जा रही है। यहां अब हर दूसरा व्यक्ति अपने हाथ में माइक लेकर खुद को पत्रकार बताने लगा है। स्थिति यह हो गई है कि गाड़ियों की फील्डिंग करने वाले, चौकीदारी करने वाले, यहां तक कि आइसक्रीम, हलवा-पराठा बिकवाने वाले भी अब फेसबुक और यूट्यूब पर लाइव आकर खुद को रिपोर्टर घोषित कर चुके हैं।
ऐसे तथाकथित पत्रकार न केवल शहर की सड़कों पर प्रचार करते दिखाई दे रहे हैं, बल्कि अधिकारी वर्ग के बीच उठने-बैठने लगे हैं। कुछ लोग तो माइक लेकर दुकानों का प्रचार करते हुए ‘साबिर एलाउंसमेंट’ की शैली में बोलते हैं– “आपके शहर में खुल गया है हलवा-पराठा… सबसे ठंडी आइसक्रीम, सबसे सस्ते कपड़े, अब आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं….
इस स्थिति से शहर के वास्तविक प्रिंट और नेशनल मीडिया के पत्रकारों में भारी रोष है। उनका कहना है कि इन फेसबुक पत्रकारों ने न केवल पत्रकारिता की गरिमा को ठेस पहुंचाई है, बल्कि असली पत्रकारों की मेहनत और पहचान को भी नुकसान पहुंचाया है। कई बार देखा गया है कि असली पत्रकारों की खबरें ये लोग चुराकर अपने पेज पर डाल देते हैं, और लाइक-कमेंट्स बटोरते हैं
जानकारी के अनुसार इनमें से कई तथाकथित पत्रकार सिस्टम की नज़र में डिफॉल्टर हैं। किसी ने दूसरों के नाम पर वाहन खरीद रखे हैं, जिनकी किस्तें तक जमा नहीं की जा रहीं। वहीं, कुछ ने पत्रकारिता को ढाल बनाकर अपने अवैध कार्यों को बचाने का जरिया बना लिया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि ऐसे लोगों को पहचानने और उन पर कार्रवाई करने की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यदि समय रहते सरकार या प्रशासन ने इस दिशा में सख्ती नहीं दिखाई, तो पत्रकारिता में विश्वास रखने वाली जनता को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी। उस समय शायद कोई ऐसा नहीं बचेगा, जो उनके हक की आवाज़ बुलंद कर सके।
Gazab
यह आज की सच्चाई है। कुछ तो ऐसे भी है जोकि कल तक मज़दूरी करते थे और अपना नाम भी नही लिखना आता है।