CISF 2025 में क्यों बना हर युवा का सपना? नए मिशन, नई ट्रेनिंग और हाईटेक सिस्टम से बदली पहचान

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CISF 2025 में क्यों बना हर युवा का सपना? नए मिशन, नई ट्रेनिंग और हाईटेक सिस्टम से बदली पहचान

 

CISF यानी केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल अब सिर्फ एयरपोर्ट सुरक्षा या सरकारी इमारतों की रखवाली तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह भारत के सुरक्षा तंत्र का एक ऐसा आधुनिक और बहुआयामी हिस्सा बन चुका है जो हर युवा को आकर्षित कर रहा है। हाल ही में जो बदलाव CISF में देखने को मिले हैं, वह इसे बाकी अर्धसैनिक बलों से अलग बनाते हैं – खासकर इसका टेक्नोलॉजी-फोकस्ड अपग्रेडेशन, नई भर्ती नीतियां और महिला अधिकारियों की तेजी से बढ़ती भागीदारी ने इसे 2025 में एक नया चेहरा दे दिया है। सरकार की “स्मार्ट सिक्योरिटी फोर्स” योजना के तहत CISF को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फेस रिकग्निशन कैमरा, बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल और मल्टीलेवल कमांड सिस्टम से लैस किया जा रहा है, जिससे यह न केवल खतरों को पहले पहचान सके बल्कि बिना समय गंवाए रेस्पॉन्स भी कर सके।

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इस वक्त CISF के 1.7 लाख से ज्यादा जवान देशभर में 350 से अधिक संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा कर रहे हैं, जिनमें मेट्रो स्टेशन, परमाणु संयंत्र, एयरपोर्ट, स्पेस इंस्टॉलेशन, सरकारी दफ्तर और यहां तक कि कुछ प्राइवेट संस्थान भी शामिल हैं। खास बात ये है कि CISF अब इन्फ्रा-सिक्योरिटी के साथ-साथ साइबर-सिक्योरिटी में भी ट्रेंड जवानों को तैनात कर रहा है, और हाल ही में दिल्ली, हैदराबाद, पुणे और लखनऊ में इसके चार नए साइबर ट्रेनिंग सेंटर शुरू किए गए हैं।

 

नए बदलावों के तहत जो चीज सबसे ज्यादा युवाओं को आकर्षित कर रही है, वो है CISF की फिजिकल ट्रेनिंग के साथ-साथ डिजिटल और साइकोलॉजिकल ट्रेनिंग पर भी ज़ोर देना। अब जवानों को Crisis Response, Negotiation, Anti-Drone टेक्नोलॉजी और Crowd Behavior Analysis जैसे मॉड्यूल सिखाए जा रहे हैं। यही कारण है कि सोशल मीडिया पर “CISF Dream Job 2025” जैसे ट्रेंड्स वायरल हो रहे हैं, जहां युवा अपनी तैयारी, यूनिफॉ

र्म ट्राय

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