देश की महिलां अब किसी से कम नहीं पूनम गुप्ता ने बढ़ाया महिलाओं का सम्मान
अज़हर मलिक
कभी भारत में नारी का बहुत सम्मान होता था और कहा जाता था कि जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। प्राचीन काल में आर्यों के समय में नारी के बिना कोई भी यज्ञ पूरा नहीं हो सकता था।
रामायण में भी जब श्रीराम चंद्र जी ने अश्वमेघ यज्ञ का आयोजन किया तो सीता की अनुपस्थिति में उन्हें सीता की सोने की मूर्ति बनवाकर यज्ञ करना पड़ा। मुगलकालीन समय में नारियों के प्रति पुरुष समाज का व्यवहार बदल गया और नारियों को केवल घर की चारदीवारी में बंद होकर रहना पड़ा। लेकिन समय ने फिर करवट बदली और अब महिलाएं सभी क्षेत्रों में पुरुषों का मुकाबला कर रही है।
नारी को कभी दहेज के नाम पर तो कभी कन्या भ्रूण हत्या द्वारा जान से हाथ धोना पड़ता था। अब धीरे-धीरे समय बदल रहा है और नारी सशक्तिकरण की ओर अग्रसर हो रही है तथा जीवन में कई क्षेत्रों में तो वह पुरुषों से भी आगे निकल रही है।

ऐसी एक कहानी उत्तराखंड के जनपद नैनीताल के रामनगर से सामने आई है जहां काफी चुनौतियों और संघर्षों से लड़ने के बाद एक अच्छा मुकाम हासिल किया है।
पूनम गुप्ता पत्नी डॉ पुनीत गुप्ता जो एक बेहतर गृहणी के साथ साथ एक बेहतर सामाजिक कार्यकर्ता भी है। जिसमे उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनायीं। बचपन से से ही पूनम ने कई सामाजिक कार्यों में अपनी पकड़ बना ली थी। परिवार में सबसे अलग और हर कार्य में सबसे पहले होना उनकी अपनी एक पहचान रही जिस कारण से 14 वर्ष की आयु से ही नृत्य,सिलाई,पेंटिंग,और कुकिग आदि सीखना शुरू कर दिया,और आज इन सभी कार्य क्षेत्र में अपने डंके बजा रही है।
आपने अपने पिता की खराब स्वास्थ्य व परिवार की परिस्थितियों के कारण परिवार में अपना हाथ बटाना शुरू कर दिया था। 17 वर्ष की आयु में पहला पेंटिग कैंप लगाया और सफलता पूर्वक पूर्ण किया.इसके अलावा अन्य छेत्रो में भी कैंप लगाए,सफल नेतृत्व कर अलग पहचान बनाई। 21 वर्ष की आयु में इनका विवाह डॉ पुनीत गुप्ता से हुआ तत्पश्चात परिवार व पति के सहयोग से दुबारा मैदान में आयी और पुष्कर हब्बी के नाम से पहला कैंप गरीब बच्चों के लिए लगाया। आप रामनगर नगरपालिका से भी कार्यक्षेत्र हेतु जुडी हुई है जिसके कारण आपने सिलाई कोर्स,कड़ाई बुनाई कोर्स की क्लासेज भी नगरपालिका रामनगर में समूह व महिलाओ हेतु कराई.अपने इस जीवनकाल में आपने कई जगह नृत्य,सिलाई,कड़ाई बुनाई व कुकिंग में जज की भूमिका निभाई।

इस कारण आपको कई छेत्रो में सम्मान प्राप्त हुए आप अपने परिवार अपने पूरे शहर व हमारे लिए प्रेरणा स्रोत है। इतना ही नहीं मां के कदम चिन्हों पर चलकर बेटी ने भी एक अच्छा मुकाम हासिल किया जिसे अब रामनगर की डांसिंग गर्ल्स के नाम से भी जाना जाता है। कई छोटे-बड़े नृत्य प्रोग्राम में पूनम गुप्ता की बेटी अपना लोहा मनवा चुकी है।
पूनम गुप्ता ने के इस 30 साल के सफर में न जाने कितने संघर्ष करने पड़े उतार चढ़ाव देखें उसके बावजूद भी अपने हौसलों को टूटने ना दिया और न जाने कितने परिवार को आबाद कर चुकी है।

आज भी पूनम गुप्ता द्वारा कहीं ऐसे सामाजिक कार्य देखने को मिल जाते हैं जिसमें बच्चों के भविष्य निखर जाता है। पूनम गुप्ता की डांस एकेडमी में न जाने कितने बच्चों का भविष्य बन गया अब तक कहीं टीवी शो और अपनी डांस एकेडमी भी बच्चे खोल चुके हैं।
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