Kashipur news : न्यायालय ने सगी बहन के हत्यारोपी को किया दोषमुक्त
अज़हर मलिक
काशीपुर न्यायाधीश विनोद कुमार के न्यायालय ने साक्ष्यो के अभाव से सगी बहन के हत्यारोपी को दोषमुक्त कर दिया। बतादें कि बीती 21 जून 2019 को कुलदीप सिंह पुत्र जीराज सिंह निवासी नवलपुर थाना कुंडा की तहरीर पर एक प्रथम सूचना रिपोर्ट लिखवाई गई कि उसकी बहन की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई है।
तब पूछताछ में कुलदीप ने बताया कि उसके भाई राजवीर ने बताया उसकी बहन के पास पड़ोसी सत्येंद्र से फोने पर बातचीत करने को मना करने व फोन छीन कर ले लिया गया लेकिन वह नहीं मानी और फिर सतेंद्र से बात करने लगी। बताया कि राजवीर तब गुस्से में आकर उसने अपनी वहन का चुन्नी से गला दबा दिया और डीजल डालकर जला दिया।
मामले की जांच निरीक्षक राजेश कुमार को सौंपी गई उन्होंने गवाहों के बयान व मृतका जिस सत्येंद्र से बात करती थी उसकी मोबाइल की सीडीआर एवं बाथरूम के अंदर उसकी हत्या हुई थी उसका पर्दा एवं जिस बोतल में डीजल डालकर मृतका को जलाया गया था वह बोतल बरामद की और गवाह साबिर तथा अमर सिंह का 164 सीआरपीसी का कलमबद्ध बयान निम्न न्यायालय में दर्ज करा कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया।
माननीय द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायालय मैं उत्त बाद का परीक्षण हुआ और 14 गवाहों को परीक्षित कराया गया जिनमें वादी कुलदीप सिंह, विजय कुमार, साबिर हुसैन, जीराज, उप निरीक्षक विजेंद्र कुमार, कांस्टेबल खस्टी आर्य, अमर सिंह, जांच अधिकारी राजेंद्र कुमार, कांस्टेबल जमशेद अली, सत्येंद्र कुमार, मोहन चंद्र पांडे, मनोज कुमार, नोडल अधिकारी वोडाफोन विशाल शर्मा को परीक्षित कराया गया तथा अन्य दस्तावेजी साक्ष्य विवेचक द्वारा पेश किए गए। न्यायालय द्वारा सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता एवं बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्त़ा शैलेंद्र कुमार मिश्रा एवं भास्कर त्यागी के तर्कों को सुना गया।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्त़ा का तर्क था कि अभियुक्ता़ राजवीर का अपराध अत्यंत गंभीर प्रकृति का है और उसे कठोर से कठोर सजा दी जाए बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा का तर्क था कि अभियोजन द्वारा दिए गए साक्ष्यों के बयानों में परस्पर विरोधाभास है तथा विवेचक द्वारा बरामद कराई गई वस्तुओं को जांच हेतु विधि विज्ञान प्रयोगशाला नहीं भेजा गया। द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार द्वारा सहायक अभियोजन अधिकारी तथा बचाव पक्ष के अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार मिश्रा एवं भास्कर त्यागी को सुना गया तथा पत्रवली का गहनता के साथ परिशीलन कर साक्ष्य के अभाव में अभियुक्त़ राजवीर को दोष मुक्त कर दिया गया।