Alhamdu ki Surat Hindi Mein: सूरह फातिहा का तर्जुमा, महत्व और फायदे
Alhamdu की सूरह, जिसे सूरह फातिहा भी कहा जाता है, कुरआन की सबसे पहली और सबसे अहम सूरह है। इसे हर नमाज़ में पढ़ा जाता है और इसे “उम्मुल कुरआन” यानी “पूरा कुरआन का सार” कहा जाता है।
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सूरह फातिहा (Alhamdu) हिंदी में:
بِسْمِ اللّٰہِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِیْمِ
1. अल्हम्दु लिल्लाहे रब्बिल ‘आलमीन।
(सब तारीफ अल्लाह के लिए है जो सारे जहानों का रब है।)
2. अर-रहमानिर-रहीम।
(जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।)
3. मालिके यौमिद्दीन।
(जो रोज़े जज़ा का मालिक है।)
4. इय्याका नअबुदु व इय्याका नस्तईन।
(हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं।)
5. इहदिनस्सिरातल मुस्तकीम।
(हमें सीधा रास्ता दिखा।)
6. सिरातल लज़ीना अन’अमता अलैहिम।
(उनका रास्ता जिन पर तूने इनाम किया।)
7. ग़ैरिल मग़ज़ूबे अलैहिम व लद्दाल्लीन।
(न कि उनका जिन पर ग़ज़ब हुआ और न ही गुमराहों का।) – आमीन
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इस सूरह का महत्व:
हर नमाज़ में पढ़ी जाती है – बिना इसके नमाज़ अधूरी मानी जाती है।
यह दुआ भी है और तारीफ भी।
कुरआन की सबसे ज्यादा याद की जाने वाली सूरह है।
इसे रोजाना पढ़ने से हिफाजत, रहमत और बरकत मिलती है।
बीमारियों, परेशानियों और तनाव में सुकून देती है।
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इस्लामिक विद्वानों की राय:
हज़रत मुहम्मद ﷺ ने कहा है कि सूरह फातिहा ऐसी सूरह है जिसे पहले कभी किसी किताब में नहीं दिया गया। यह एक अनोखी रहमत है।
अगर आप इस्लाम की शुरुआत कर रहे हैं या कुरआन समझना चाहते हैं तो “Alhamdu ki Surat” यानी सूरह फातिहा सबसे पहली और सबसे ज़रूरी सूरह है। इसे याद करें, इसका मतलब समझें और अपने हर दिन की शुरुआत इससे करें।