उत्तराखंड में पहली बार बन रही योग नीति पर मंथन
अज़हर मलिक
Dehradun Uttrakhand : उत्तराखंड में पहली बार बन रही योग नीति पर मंथन शुरू हो गया है I नीति के तहत योग केंद्रों के अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के साथ प्रोत्साहन की भी प्रावधान किए जायेंगे अखिर कैसा होगा योग नीति का स्वरुप…
उत्तराखंड राज्य में दिसंबर माह
में आयोजित होने जा रहे अंतरराष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन की तैयारियां जोरों शोरों से की जा रही है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि इस सम्मेलन से पहले राज्य की पहली योग पॉलिसी लागू हो सकती है। दरअसल, साल 2023 से ही आयुष विभाग प्रदेश के लिए योग नीति तैयार करने पर काम कर रहा है। हालांकि, आयुष विभाग ने योग नीति का मसौदा तैयार कर शासन को अध्यन के लिए भी भेज दिया है। मुख्य रूप से इस योग पॉलिसी में प्रदेश की योग संबंधित विधाओं को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया गया है। ऐसे में योग पॉलिसी को जल्द से जल्द धरातल पर उतरने के लिए सभी सम्भव प्रयास किए जा रहे इस योग नीति में कई खास प्रावधान किए गए हैं I
गौरतलब है कि उत्तराखंड के ऋषिकेश को योग की जननी माना जाता है। इसके साथ ही योगनगरी ऋषिकेश को विश्व की योग राजधानी का दर्ज दिया गया है। ऐसे में जहा एक ओर उत्तराखंड सरकार प्रदेश को आयुष हब के रूप में विकसित करना चाहती है तो वही, सरकार योग पॉलिसी भी तैयार कर रही है। ताकि योग के जरिए न सिर्फ लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जा सके बल्कि योग केंद्रों को भी प्रदेश में बढ़ावा दिया जा सके। ऐसे में आयुष विभाग ने योग पॉलिसी तैयार की है। जिसका शासन स्तर पर परीक्षण चल रहा है। ऐसे में शासन स्तर से सहमति मिलने और वित्त विभाग की मंजूरी के बाद योग पॉलिसी को लागू कर दिया जाएगा।
बता दे कि आयुष विभाग साल 2023 से योग नीति तैयार कर रहा है। योग नीति तैयार करने के लिए विभाग ने आयुर्वेद विशेषज्ञों के साथ ही तमाम हित कारकों से भी सुझाव मांगे थे। ऐसे में योग नीति का ड्राफ्ट तैयार करने के बाद विभाग ने वित्त विभाग को प्रस्ताव सौंप दिया था। लेकिन वित्त विभाग ने नीति में किए गए कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए दोबारा प्रस्ताव मांगा था। ऐसे में विभाग ने योग नीति प्रस्ताव में संशोधन कर शासन को भेज दिया है जिस पर मंथन किया जा रहा हैं। योग नीति में योग, नेचुरोपैथी, अध्यात्म के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलप होगा। इसके अलावा योग पॉलिसी आने के बाद प्रदेश में मौजूदा सभी योग केंद्रों का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा। साथ ही केंद्र सरकार के योग सर्टिफिकेशन बोर्ड से तमाम योग कोर्स करने पर फीस के प्रतिपूर्ति की व्यस्था भी नीति में की जाएगी।
वही, योग नीति के स्वरुप पर
ज्यादा जानकारी देते हुए अपर सचिव आयुष डॉ विजय कुमार जोगदंडे ने बताया कि प्रदेश में योग और आयुर्वेद के क्षेत्र में काफी अधिक संभावनाएं है। लिहाजा, योग और आयुर्वेद को बढ़ावा देने के लिए जो भी संस्थाएं काम कर रही है उसमें एकरूपता लाने, योग के ट्रेनिंग को बेहतर करने के लिए योग नीति पर काम किया जा रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि योग नीति संबंधित जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है उसपर मंथन किया जा रहा है। ऐसे में योग नीति का ड्राफ्ट तैयार होने के बाद, अनुमति के लिए शासन में प्रस्तुत किया जाएगा।
साथ ही उन्होंने कहा कि प्रदेश के जो पर्यटन स्थल है और जो नए पर्यटन स्थल विकसित हो रहे है उसके आसपास योग और आयुर्वेद को भी विकसित किया जाए। इसके साथ ही वेलनेस के क्षेत्र में ही संभावनाएं बढ़ती जा रही है। जिसको देखते हुए योग से संबंधित मानक को बेहतर करने, योग संबंधित शिक्षण संस्थानों में एकरूपता लाने, रोजगार के लिहाज से आम जनता को योग के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए सहित तमाम महत्वपूर्ण बिंदुओं को योग नीति में समाहित किया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि योग नीति तैयार होने के बाद योग शिक्षण संस्थाओं के एकरूपता लाने के साथ ही संस्थाओं को व्यवस्थित करने का काम किया जाएगा। इसके साथ ही योग शिक्षण संस्थान खोलने के लिए करीब 20 लाख रुपए तक के प्रोत्साहन राशि का प्रावधान, संस्थानों के मानकीकरण का प्रावधान किया जाएगा। इसके अलावा, जो विदेशी व्यक्ति योग को अपनाना चाहते है और प्रदेश में प्रशिक्षण लेना चाहते है। उनको आसानी से प्रशिक्षण मिल सके इसका भी प्रावधान योग नीति में किया जाएगा।
नहीं योग नीति के अस्तित्व में आने से न सिर्फ आयुर्वेद और योग प्रशिक्षकों को इसका का लाभ मिलेगा बल्कि योग नीति के अस्तित्व में आने से उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे ऐसे में उम्मीद की जा रही है की शासकीय प्रक्रिया के बाद जल्द ही योग नीति अस्तित्व में आ जाएगी ?