यूकेडी ने की ममता के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग, सरकार पर भी बोला हमला

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यूकेडी ने की ममता के हत्यारों को सजा दिलाने की मांग, सरकार पर भी बोला हमला

उत्तराखंड क्रांति दल ने आज गुमशुदा ममता की परिजनों के साथ क प्रेस वार्ता की। इस दौरान यूकेडी के केंद्रीय मीडिया प्रभारी शिव प्रसाद सेमवाल ने आरोप लगाया कि सरकार के दबाव में पुलिस ने पूरे 3 साल तक इस मामले को दबाए रखा और एक हत्या को गुमशुदगी में दर्ज करके फाइनल रिपोर्ट लगा दी। यूकेडी नेता सेमवाल ने कहा कि जल्दी से जल्दी अंकिता हत्याकांड की तरह ही ममता की हत्या के दोषियों को भी सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा। उन्होंने इस प्रकरण की जांच नए सिरे से सीबीसीआईडी से करने की मांग की। उत्तराखंड क्रांति दल कार्यालय में ममता के पिता राजाराम जोशी का कहना है कि उनकी बेटी ममता अपने ससुराल से नवंबर 2019 से गायब है। श्रीनगर पुलिस ने हमारी शिकायत पर लापरवाही से कार्यवाही की और इस मामले को आत्महत्या बताकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी। ममता के माता पिता ने ससुरालियों पर अपनी बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि वे दो बार ममता से जबरन कन्या भ्रूण हत्या करवा चुके थे। उक्रांद के केंद्रीय प्रवक्ता शिव प्रसाद सेमवाल ने ममता के ससुराल वालों के खिलाफ तत्काल कार्यवाही करने की मांग की। ममता के माता पिता ने कहा कि 25 नवंबर 2019 को सुबह 8 बजे ममता के पति गिरीश बहुगुणा ने ममता के पिता राजाराम जोशी को कॉल करके बताया कि ममता सुबह 5 बजे से गायब है। ममता के पिता और दो भाई ममता के परिवार से और आसपास पता करने ममता के घर एजेंसी मोहल्ला पहुंचे। पूछताछ करते हुए ममता के बड़े भाई दीपक जोशी श्रीनगर के नैथाणा पुल में पंहुचे. यहां उनको एक जोड़ी चप्पल मिली. ममता के परिवार ने कहा कि यह चप्पल ममता की ही है. दीपक जोशी ने श्रीनगर कोतवाली जाकर ममता की गुमशुदगी की एफआईआर दर्ज करवाई.  पुलिस ने ममता के परिवार से पूछताछ की तो उन्होंने इस मामले को आत्महत्या बताने की कवायद शुरू की। राजाराम जोशी ममता के पति और जेठ अजय बहुगुणा पर उनकी बेटी की हत्या का आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ममता किसी भी हाल में आत्महत्या नहीं कर सकती. ममता को उसके परिवार द्वारा बहुत समय से मानसिक रूप से परेशान किया जा रहा था। ममता के दूसरे भाई प्रदीप जोशी ने बताया कि 2008 में ममता की शादी के बाद 2009 में ममता को एक बेटी हुयी. उसके बाद परिवार वालों ने जबरन ममता की मर्जी के खिलाफ दो बार बेटियों की कोख में ही हत्या करवा दी. 2018 में ममता चौथी बार मां बनने वाली थी, परिवार वालों ने फिर भ्रूण जांच कर बेटी होने का पता किया और फिर ममता पर इस अजन्मी बच्ची की हत्या का दबाव बनाने लगे. इस बार ममता परिवार के फैसले के खिलाफ खड़ी हुई और हर हाल में इस बच्ची को जन्म देने की ठान ली. फरवरी 2019 को ममता ने इस बच्ची को जन्म दिया. इस दौरान ममता परिवार के साथ मेरठ में रहती थी. तब से परिवार वाले ममता को शारिरिक और मानसिक रूप से और भी प्रताड़ित करने लगे. ममता के गायब होने से एक महीने पहले ही वे श्रीनगर लौटे थे।

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मेरठ में ममता के पड़ोस में रहने वाली सहेली सुमिता बताती हैं कि ममता का पति ममता से अक्सर मारपीट और गाली गलौज किया करता था. सुमिता ने कहा कि ममता कभी भी आत्महत्या नहीं कर सकती. वह बहुत परेशान रहती थी लेकिन वह कहती थी कि मुझे अपनी बच्चियों के लिए जिंदा रहना है। ममता के पिता राजाराम जोशी पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा हैं कि तत्कालीन श्रीनगर कोतवाल नरेन्द्र बिष्ट ने मामले को जरा भी गंभीरता से नहीं लिया. ससुराल वालों ने उनके घर से गायब हुयी ममता की शिकायत तक दर्ज करवाना जरूरी नहीं समझा। पुलिस ममता के ससुरालियों पर सख्ती बरतने के बजाय हमसे ही बदसलूकी किया करते थे. ममता के भाई को पुल पर मिली चप्पलों की बरामदगी पुलिस ने 40 दिन बाद अपने पास ली, जिनकी किसी भी प्रकार की जांच नहीं करवायी गयी. प्रदीप जोशी ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम ने ममता को ढूंढने के लिए अलकनंदा नदी में बिना गोताखोरों के एक ऐसा कांटा लेकर सर्च अभियान चलाया जिसमें मछली फंसना भी मुश्किल था. प्रदीप जोशी आरोप लगाते हैं कि पुलिस ने यह मामला इतने हल्के में लिया जैसे कोई साइकिल चोरी हुई हो। ममता की गुमशुदगी के 10 महीनों बाद पुलिस को अलकनंदा में मिली एक लाश को ममता बहुगुणा की बताया गया. पुलिस ने लाश मायके वालों को सौंपी और उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया. हैरत की बात यह है कि जब 4 महीने बाद उस लाश की डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आई और मायके वालों से मैच करवाई गई तो पता चला कि वह लाश ममता बहुगुणा की नहीं थी. अब मायके वालों का शक गहराया कि ममता के ससुराल वालों ने उसकी हत्या कर कहीं और दफनाया है. ममता की तब दस साल की बड़ी बेटी ने अपने नाना को बताया था कि घटना से पहली रात को उसकी मां के साथ उसके पिता और ताऊ ने मारपीट और गाली गलौज की. ममता की दोनों बेटियां अब अलग अलग अपनी बुआओं के घर रहती है। मायके वालों ने ममता के ससुराल पक्ष के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है जिस तारीखें चल रही हैं. पुलिस ने ससुराल वालों के खिलाफ कोई सबूत पेश नहीं किए. पुलिस के लापरवाह रवैये से मामला कमजोर पड़ा है. ममता की मां न्याय की आस लगाये बैठी है और बुजुर्ग पिता कोर्ट की दहलीज पर घुटनों के बल पहुंच रहे हैं।

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